Book Title: Bolte Chitra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 125
________________ १०६ महानाम बाहर नहीं आये | विभ और उसके सैनिक चकित हो गए। विभ को निश्चय हो गया मेरे गुरु, नाना ने कपिलवस्तु की रक्षा के लिए अपने प्रारण समर्पित कर दिये हैं । बोलते चत्र आज्ञा पाकर सैनिक तालाब में घुसे महानाम का मृत देह तालाब में जो कीर्तिस्तंभ था उसके साथ उत्तरीय वस्त्र से बंधा हुआ था । वे शव को लेकर बाहर आये । सभी के हृदय की वीणा के तार झनझना उठे - धन्य हैं महामना महानाम, जिन्होंने अपने आपको समर्पित कर नगर की रक्षा की है । हजारों-लाखों के प्राण बचाए ! * Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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