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कुमारपाल की वीरता कुमारपाल की। शरण स्वीकार की विजयी राजर्षि कुमारपाल ने उसे अभयदान देकर मुक्त कर दिया।
जन-जन के अन्तर्हृदय के तार झनझना उठे-'धन्य ! धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिये युद्ध करने वाले महावीर के परम भक्त गुर्जरेश्वर कुमारपाल की जय !
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