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बोलते चित्र इतने में खेत के सन्निकट एक नन्ही सी झोंपड़ी उसे दिखलाई दी। जाकर झौंपड़ी का द्वार खटखटाया। अन्दर से एक वृद्ध किसान बाहर आया ।
अधिकारी ने कहा-हमारे घोड़ों के लिए चने की आवश्यकता है। हमारे साथ चलो और कोई खेत बताओ।
यह सुनते ही वृद्ध किसान का मुंह चिन्ता से पीला पड़ गया। उसने अपनी चिन्ता छिपाते हुए कहा-अच्छा तो तुम मेरे साथ चलो।
अधिकारी उस वृद्ध की मनोभावना को जानना चाहता था, पर जान नहीं सका। वह उसी के पीछे-पीछे चल दिया। कुछ दूर जाने पर रास्ते के किनारे ही एक बहुत सुन्दर चने का खेत दिखलाई दिया। अधिकारी ने आदेश दिया-रुक जाओ, आगे जाने की आवश्यकता नहीं है।
ये शब्द कर्ण-कुहरों में गिरते ही वृद्ध रुक गया। उसने कहा-यहाँ नहीं, आगे चलिए, इससे भी सुन्दर
और बढ़िया खेत दिखलाता हूँ। . अधिकारी ने गरजते हुए कहा-क्या तू मजाक करना चाहता है । जो हमें चाहिए था वह हमें मिल गया है। आगे चलने की आवश्यकता नहीं है ! अब तेरा पथ-प्रदर्शन नहीं चाहिए । तू प्रसन्नता से जा सकता है ।
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