________________
जीवन दान
८३
पर एक युवक डाक्टर खड़ा हुआ, उसका नाम हेनरी गायन था। सभी उसकी ओर आशा से देखने लगे कि यह कौनसी नवीन शोध लाया है । उसने कहा-जब तक हम अपने जीवन का मोह नही छोडेंगे दूसरों को जीवन दान नहीं दे सकेंगे दूसरों को जीवन दान देने के लिये प्रथम स्वयं को जीवन दान देना होगा। हजारों लाखों व्यक्तियों को बचाने के लिये मैं प्रस्तुत हूँ। मेरा यह वसीयतनामा लीजिए-मैं एकाकी हूँ, मेरा कोई परिवार नहीं है । यह मेरी सम्पत्ति प्लेग के रोगियों के उपचार हेतु खर्च करें।
वृद्ध डाक्टर उस युवक डाक्टर के साहस को देखकर ठगे से रह गये। वह शीघ्र ही ऑपरेशन खन्ड में गया प्लेग से मृत्यु प्राप्त व्यक्ति की शल्य चिकित्सा की, रोग का सही निदान किया। किन कारणों से प्लेग के जन्तु शरीर पर हमला करते हैं उनकी चिकित्सा किस प्रकार हो सकती है इस पर उस ने टिप्पणियां लिखीं और वे टिप्पणियां रासायनिक द्रव्यों में रखी जिसके स्पर्श करने पर भी रोग का असर ने हो सके।
उसने अपना कार्य पूर्ण किया किन्तु उसका सम्पूर्ण शरीर प्लेग से ग्रस्त हो गया। उसके मन में शोध का कार्य पूर्ण कर लेने का सन्तोष था । हेनरी गायन स्वयं मर गया पर प्लेग से मरने वाले हजारों-लाखों व्यक्तियों को जीवन दान दे गया।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org