Book Title: Bolte Chitra Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 79
________________ बोलते चित्र स्वास्थ्य के लिए अनुकूल हो अधिक आहार करने से तन बिगड़ता है। क्षमा कीजिए ! कल ही लखनऊ की दो प्रख्यात नृत्य करने वाली गणिकाएं आयी हैं। वे इतना सुन्दर नृत्य करती हैं कि देखने वाला मुग्ध हो जाता है। उनके हाव, भाव और कटाक्ष गजब के होते हैं। नीरस से नीरस व्यक्ति के हृदय में भी सरसता का संचार हो जाता है। वे इतना बढ़िया गाती हैं कि सुनने वाला झूम उठता है, वे ऐसी बातें करती हैं कि सुनने वालों के हँसी के फव्वारे छूट जाते हैं, चिन्ताएँ कपूर की तरह उड़ जाती है। आज्ञा हो तो उन्हें हाजिर करूँ ? द्वारपाल ने द्वितीय उपाय प्रस्तुत किया। बादशाह अकबर ने लम्बा निःश्वास छोड़ते हुए कहावर्षों से मेरे पास रहने पर भी तू अब तक मेरी मनोभावना को नहीं पहचान सका ! मेरे मानस का अध्ययन नहीं कर सका। अकबर न तो रस-लोलुपी है, और न बासना का गुलाम ही है। वह तो साहित्य रसिक है । साहित्य की चर्चा में उसे जो आनन्द आता है वह दूसरी वस्तुओं में नहीं आता। तू इसी समय खानखाना के घर जा और उसे कह कि राजतरंगिणी का फारसी अनुवाद करने को दिया गया था, वह तैयार हो गया हो तो, उसे लेकर इसी समय मेरे पास आए । मेरा मन इस समय उसका भाषान्तर सुनने के लिए छटपटा रहा है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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