Book Title: Bolte Chitra Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 82
________________ सत्यनिष्ठा ६३ पूछा- क्या ऐसा कोई उपाय है जिससे मैं रोग मुक्त हो सकूं । दासी ने दृढ़ता के साथ कहा — गुरुदेव के मुखारविन्द से मैंने सुना है कि ब्रह्मचर्य जीवन की महान् शक्ति है । देव, दानव, गंधर्व, यक्ष और राक्षस सभी ब्रह्मचारी के चरणों में झुकते हैं । आपको ध्यान होगा, मांडवगढ़ के महामंत्री पेथडकुमार पूर्ण ब्रह्मचारी हैं । अभी उनकी बत्तीस वर्ष की उम्र है किन्तु ब्रह्मचर्य का अपूर्व तेज उनके चेहरे पर चमक रहा है । ब्रह्मचर्य के दिव्य प्रभाव से जो असंभव हैं वह भी संभव हो जाता है । जो कार्य चामत्कारिक रसायन नहीं कर सकती वह ब्रह्मचर्य के अलौकिक तेज से सहज हो सकता है । मुझे विश्वास है कि उग्र ब्रह्मचारी पेथडकुमार के ओढ़ने की साल को आप मंगा कर ओढ़े तो अवश्य ही रोगमुक्त हो सकती हैं । दासी के कहने से रानी ने पेथडकुमार के ओढ़ने की साल मंगाई । ओढ़ते ही शरीर में पसीना-पसीना हो गया, और रानी दाह ज्वर से मुक्त हो गई । यह है ब्रह्मचर्य का प्रबल प्रभाव । Jain Education International For Private & Personal Use Only X www.jainelibrary.orgPage Navigation
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