________________
(९)
राग ख्याल कान्हड़ी
एजी मोहि तारिये शान्तिजिनंद ॥ टेक ॥
तारिये तारिये अधम उधारिये, तुम करुना के कंद ॥ १ ॥
नृपनन्द ॥ २ ॥
जगचन्द ॥ ३ ॥
भव - द्वन्द ॥ ४ ॥
हथनापुर जनमैं जग जानें, विश्वसेन धनि वह भाता एरादेवी, जिन जाये 'भूधर' विनवै दूर करो प्रभु, सेवक के
ऐ शान्तिनाथ भगवान ! मुझको तारो, मुझको पार लगाओ। आपने बहुत से पापियों का उद्धार किया है, उन्हें पार किया है, मुझ को भी तारी (पार लगाओ ) । आप तो करुणा के कंद हो, पिंड / समूह हो । सारा जगत जानता है कि आप हस्तिनापुर नरेश विश्वसेन के पुत्र हैं। आपकी जन्मदात्री माता एरादेवी धन्य हैं जिन्होंने आप जैसे जगत चन्द्र को जन्म दिया।
भूधरदास विनती करते हैं कि हे प्रभु! इस सेवक को भवजाल अर्थात् संसार के जाल से मुक्त करो।
१०
भूधर भजन सौरभ