Book Title: Bhudhar Bhajan Saurabh
Author(s): Tarachand Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 131
________________ परिशिष्ट क्र.सं. पष्ठ सं. ५४ ८५ ७८ ३८ " U भजन अ १. अजित जिनेश्वर अघहरणं ५, अजित जिन विनती हमारी भान जी ३. अज्ञानी पाप धतूरा न बोय ४. अन्तर उज्जल करना रे भाई ५. अब नित नेमि नाम भजो ६. अब पूरी कर नींदड़ी ७. अब मन मेरे वे ८. अब मेरे समकित सावन आयो २. अरे मन चल रे श्री हथनापुर की जात १०. अरे ! हाँ चेतो रे भाई ११. अहो जगतगुरु एक १२. अहो दोऊ रंग भरे खेलत होली १३. अहो वनबासी पिया आ १४. आज गिरिराज के शिखर १५. आदिपुरुष मेरी आस भरोजी १६. आयो रे बुढ़ापो मानी १७. आरती आदि जिनन्द तुम्हारी ए १८. एजी मोहे तारिये शांति जिनन्द ऐ १९. ऐसी समझ के सिर धूल २०. ऐसो श्रावक कुल पाय औ २१. और सब थोथी बातें क २२. करुणा ल्यो जिनराज हमारी २३. काया गागरि जोजरी ग २४. गरब नहिं कोजे रे २५. गाफ़िल हुआ कहाँ तू डोले च २६. चरखा चलता नहिं रे २७. चित चेतन की यह बिरिया रे ज २८. जै जगपूज परमगुरु नामी २९. जग में जीवन थोरा ६८ m mro ५६ १०२ ६२ ७४ १०२ ७२ ४३ १२० भूधर भजन सौरभ

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