Book Title: Bhudhar Bhajan Saurabh
Author(s): Tarachand Jain
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 133
________________ क्र.सं. पृष्ठ सं. 103 105 Ed भजन 61. मेरे चारों शरण सहाई 62, मेरे मन सूवा जिनपद पिंजरे वसि 63. म्हें तो थांकी आज महिमा जानी 64. यह तन जंगम पड़ा 65. रखता नहिं तन को खबर 66. रटि रसना मेरी ऋषभ जिनन्द 67. राजा राणा छत्रपति 68. लगी लौ नाभि नन्दन सौं 69. वा पुर के वारणै जाऊँ 70. बीरा धारी बान बुरी परी रे 71. वे कोई अजब तमासा देख्या 72. वे मुनिवर कब मिली हैं 73. शेष सुरेश नरेश रटै तोहि 74. श्री गुरु शिक्षा देत हैं स 75. सब विधि करन उतावला 76, सीमंधर स्वामी, मैं चरनन का चेरा 77. सुन ज्ञानी प्राणी 78. सुनि ठगिनी माया 79. सुनि सुजान, पाँचों रिपु वश करि 80, सुनि सुनि हे साधनी 81. सो गुरुदेव हमारा है 82. सो मत सांचो है मन मेरे 83. स्वामीजी सांची सरन तुम्हारी ह 84. हूँ तो कहा करूँ कित जाऊँ 85. होरी खेलौंगी, घर आये चिदानन्द कंत 48 97 34 115 114 122 भूधर भजन सौरभ

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