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पुद्गल से भिन्न हमने जो वास्तविक रूप में आत्म-परिचय किया है, उसी में एकाग्र होकर, स्थिर होकर, उस ही की दृढ़ श्रद्धा करो। भूधरदास कहते हैं कि जिस प्रकार तलवार पर चढ़ी धार नहीं उतरती उसी प्रकार आत्मा के प्रति श्रद्धा का जो भाव चढ़ा है, दृढ़ हुआ है वह भी नहीं उतरेगा।
खांडा - तलवार।
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भूधर भजन सौरभ