Book Title: Bhav aur Anubhav
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 10
________________ ४२ १९ ७० परछाइयाँ नेतृत्व टेढ़ी-सीधी रेखाएँ, विनोद ४३ | स्वतन्त्र अस्तित्व, चमत्कारको जड़की बात नमस्कार ६८ अभिव्यक्ति, अनुभूतिका चमक तारतम्य कला झुकाव, चुभन अनावृत, नम्रता सचाईकी समझ द्वैत, अद्वैत चीर, लघु-गुरु पण्डित और साधक उलझन, कम-अधिक व्यक्तिवाद न्यायकी भीख, चाह और राह ५० पर और परम नया और पुराना, अकम्प ५१ कृतज्ञता पारखी, परख अमाप्य किधर, जागरण विवेक छिद्र, मार्ग खुल जाये तो ५४ | तर्ककी सीमा स्मृति और विस्मृति श्रद्धाकी भाषा जीवनके पीछे दो वाद ज्योतिर्मय श्रद्धा, श्रद्धय मृत्यु-महोत्सव, मूल्यांकन विरोध अनेक और एक ५९ विरोधका परिणाम ६० समझकी भूल काम्य और अकाम्य, सही समझ ६१ गालीका प्रतिकार श्रेष्ठतम मला वही गहरी डुबकी नये-पुरानेकी समस्या ख़तरा आलोचना अनागृह आलोचना और प्रशंसा नेता ६६ / आलोचक 0 0 0 प्रिय ८७ 10 भाव और अनुभाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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