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Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandit
मेशा ॥१२१३
| तेमां जे विग्रहमतिने प्राप्त थयेल नारक छे ते अमिकापना मध्यमां थईने जाय. [३०] ते त्या बळे! [उ.] आ अर्थ यथार्थ नथी, पाख्या-1
लैं| केमके तेने अनिरूप शस्त्र असर करतुं नथी. तेमां जे अविग्रहमतिने प्राप्त थयेल नारक के ते अग्निकायनी मध्यमां थईने न जाय. प्राप्ति REVER माटे हे गौतम ! ते हेतुथी एम कयु के, 'कोइ एक नारक जाय अने कोई एक न जाय. [१०] हे भगवन् ! असुरकुमारी अधिका
यनी बच्चे थईने जाय?-ए प्रश्न. [३०] हे गौतम ! कोई एक (असुरकुमार) जाय अने कोई एक न जाय. [अ०] हे भगवन् ! एम आप शा हेतुथी कहो छो के, कोई पक जाय अने कोई एक न जाय १ [उ०] हे गौतम ! अमरकुमरो ने प्रकारना कहा , तें आ प्रमाणे-विग्रहगतिने प्राप्त थएला अने अविग्रहगतिने प्राप्त थयेला. तेमां जे विग्रहगतिने प्राप्त असुरकुमारो छे-इत्यादि बधुं नारकनी | पेठे जाणवू. यावत्-'तेने (अग्नि वगेरे) शस्त्र असर करतुं नथी.' तेमां जे अविग्रहगति प्राप्त असुरकुमारो के तेमांना कोई एक अग्मिनी द्रा वो थईने जाय अने कोई एक न जाय. [म.] जे अभि बच्चे थईने जाय ते त्यां बळे ? [उ.] ए अर्थ यथार्थ नथी. केमके तेने अग्नि
वगेरे शख असर करतुं नथी. ते हेतुर्थी हे गौतम ! एम कयु छ के 'कोइ एक (असुरकुमार) जाय अने कोइ एक न जाय.' ए प्रमाणे | यावत्-स्तनितकुमारो सुधी जाण. एकेन्द्रियो संवन्धे नैरयिकनी पेठे जाण. [H०] हे भगवन् ! बेइन्द्रिय जीवो अग्निकायनी मध्यमां
थईने जाय ? [उ०] जेम असुरकुमारो संबन्धे कहां तेम बेहन्द्रिय संबन्धे कहे. परन्तु विशेष ए छेके, [भ] 'जे घेइन्द्रिय अनि बच्चे दाईने जाय, ते त्यां बळे ? [उ.] हा, ते त्यां पळे-एम कहे. अने बाकी बधुं पूर्वे कथा प्रमाणे यावत्-चउरिन्द्रिय सुधी जाणवू.
| पंचिंदियतिरिक्वजोणिए णं भंते ! अगणिकायस्स पुच्छा, गोयमा! अत्थेगतिए बीइवएना अत्थेगतिए नो 131 बीइवएखा, से केणगुणं.?, गोयमा। पंचिंवियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-विग्गहगतिसमावन्नगा
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