Book Title: Bhagvati Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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व्याख्या
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समज. प्र०] हे भगवन् ! स्वप्न केटला प्रकारना कहां छ? [उ०] हे गौतम ! स्वप्नो नालीश प्रकारना कहां थे. [प्र०] हे भग-17!
१६ शतके वन् ! महास्वप्न केटला प्रकारना कह्या छ ? [उ०] हे गौतम ! महास्वप्न त्रीश प्रकारना कहां छे. [40] हे भगवन् ! बधा मळीने 13
उद्देशा६ का केटलां स्वप्नो कहां छ [३०] हे गौतम ! बधा मळीने बहोतेर स्वप्नो कहां छे. [३०] हे भगवन् ! ज्यारे तीर्थकरनो जीव गर्भमां ॥१३९५॥
होय त्यारे तीर्थकरनी माताओ केटला महास्वप्न जोईने जागे: [उ०] हे गौतम ! ज्यारे तीर्थकरनो जीव गर्भमा अवतरे त्यारे तीर्थकरनी माताओ त्रीस महास्वप्नोमांथी चौद महास्वप्नो जोईने जागे छे. ते आ प्रमाणे १ हाथी, २ बलद, ३सिंह, यावत् १४ अग्नि. [प्र.] हे भगवन् ! ज्यारे चक्रवर्तीनो जीच गर्भमा अवतरे त्यारे चक्रवर्तीनी माताओ केटला महास्वप्न जोईने जागे । [उ०] हे गौतम!/६ ज्यारे चक्रवर्तीनो जीव गर्भमा अवतरे त्यारे चक्रवर्तीनी माताओ ए त्रीस महास्वप्नोमांथी चौद महास्वप्नो तीर्थकरनी माताओनी पेठेज जुए छे अने पछी जागे , ते चौद स्वप्न पूर्व प्रमाणे जाणवा, यावत्-अमि. [प्र०] एज प्रमाणे वासुदेवनी मातानी स्वप्नसंबन्धे पृच्छा। [30] हे गौतम! ज्यारे वासुदेवनो जीव गर्ममा अवतरे त्यारे वासुदेवनी माताओ ए चौद महास्वप्नोमांथी कोई पण सात महास्वप्नो जोईने जागे छे. [प्र.] ए प्रमाणे बलदेवनी माताओ संबन्धे स्वप्ननो प्रश्न. [उ०] हे गौतम बलदेवनी माताओ ए चौद महास्वप्नोमाथी कोई पण चार महास्वप्नो जोईने जागे छे. [प्र.] मांडलिक राजानी माताना स्वप्ननी एज प्रमाणे पृच्छा करवी. [उ०] हे गौतम! मांडलिक राजाओनी माताओ ए चौद स्वप्नोमांथी कोई पण एक महास्वप्नने जोईने जागे ॥५७९॥
समणे भ० महावीरे छउमस्थकालियाए अंतिमराइयंसि इमे दम महासुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धे,तं..एगंच णं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसाय सुविणे पराजियं पासित्ताण पडिबुद्धे १ एगं च णं महं सुकिल्लपक्वगं
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