Book Title: Bhagvati Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 522
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ब्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१४४८॥ शतक १७. (उदेशक १७) अग्गिकुमारा भंते सवे समाहारा एवं चेब, सेवं भंते!२॥ (सूत्रं ६१६) १७-१७॥ सत्तरसम सयं समता १० उशः१७ [प.] हे भगवन् ! बधा अग्निकुमारी समान आहारवाला छे-इत्यादि प्रश्न. [उ०] पूर्व प्रमाणे पधु जाणवं. हे भगवन् ! ते "G१४८ एमज छे, हे भगवन् ! ते एमज छे. ॥ ६१६ ॥ भगवत सुधर्मस्त्रामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीस्त्रना १७ मा शतकमां सत्तरमा उद्देशनो मूलार्थ संपूर्ण थयो अने सत्तरमा शतकनी पूर्णाहुति थइ. RAMAEX ॥ इति श्रीमद्भगवतीसूत्रे गूर्जरभाषानुवादसहिता पंचमो भागः समाप्तः ॥ For Private And Personal

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