Book Title: Bhagvati Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 496
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir JGI नामनी वक्तव्यता कही के ते बघी अहिं कहेवी. यावत-ए प्रमाणे सांनिपातिक भाव सुधी कडेवं. 'हे भगवन् ! ते एमज छे, हे। व्याख्या४ा भगवन् ! ते एमज छे'. ॥ ५९४ ॥ दात प्रज्ञप्तिः भगषत सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीमूत्रना १७ मा शतकमा प्रथम उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो. उमेश ॥१४२२॥ ४१४२२॥ शतक १७. (उद्देशक २) से नूणं भंते ! संयतविरतपडिहयपञ्चवायपावकम्मे धम्मे ठिए अस्संजयअविरय अपडिहयपचक्खायपावकम्मे अधम्मे ठिते संजयासंजए धम्माधम्मे ठिते?, हंता गोयमा! संजयविरयजाव धम्माधम्मे ठिए, एएसिणं भंते ! धम्मसि वा अहम्मंसि वा धम्माधम्मसि वा चकिया केइ आमहत्तए वा जाव तुयहित्तए वा?, गोयमा! णो तिणढे समढे, से केणं ग्बाइ अटेणं भंते ! एवं वुचइ जाव धम्माधम्मे ठिते !, गोयमा! संजयविरयजाव पावकम्मे धम्मे ठिले धम्म चेव उवसंपत्तिाणं विहरति, असंयतजाव पावकम्मे अधम्मे ठिए अधम्म चेव उवसंपजित्ताणं विहरह, संजयासंजए धम्माधम्मे ठित धम्माधम्मं चेव उवसंपज्जित्ताणं विहरति, से तेणटेणं जाव ठिए ॥ जीवा णं भंते ! किं धम्मे ठिया अधम्मे ठिया धम्माधम्मे ठिया ?, गोयमा! जीवा धम्मेवि ठिता अध. म्मेवि ठिता धम्माधम्मेवि ठिना, नेरह० पु०१, गोयमा! णेरड्या णो धम्मे ठिता अधम्मे ठिता णो धम्माधम्मे ठिता, एवं जाव चउरिदिया, पंचिंदियतिरिक्खजो पुच्छा, गोयमा! पंचिंवियतिरिक्खजोणि नो धम्मे ठिया For Private And Personal

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