Book Title: Bhagvati Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 501
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir है शरीर, तेजस शरीर अने कार्मण शरीरमां, तथा मनोयोग, वचनयोग, अने काययोगमां, साकारोपयोग अने अनाकारोपयोगमा व्याख्या वर्तमान प्राणीनो जीव अन्य छे अने तेनो जीवात्मा अन्य छे. तो हे भगवन् ! ते केम सत्य होय ? [उ०] हे गौतम ! जे अन्य १७ शतके प्रज्ञप्ति उद्देशार ॥१४२७॥ तीथिको ए प्रमाणे कहे छे, यावत्-तेओ मिथ्या कहे छ. हे गौतम ! हुं तो आ प्रमाणे कहुं छु, यावत् प्ररूपुंटुं-"प्राणातिपात ११४२७॥ यावत्-मिथ्यादर्शनमा वर्तमान प्रामीनो तेज जीव छे अने तेज जीवात्मा छे यावत्-अनाकारोपयोगमा वर्तमान प्राणीनो तेज जीव छे अने तेज जीवात्मा छे." ॥ ५९७ ॥ ॥ देवे णं भंते ! महड्डीए जाव महेस. पुवामेव रूवी भवित्ता पभू अरूवि विउब्वित्ताणं चिहित्तए १, जो दैनिणहे समढे, से केणट्टेणं भंते! एवं वुचइ-देवे णं जाव नो पभू अरूवि विउवित्ताणं चिट्टित्तए?, गोयमा! | अहमेयं जाणामि अहमेयं पामामि अहमेयं बुज्झामि अहमेयं अभिसमन्नागच्छामि, मए एयं नायं मए एयं दिटुं हामा एयं वुद्धं मए एयं अभिसमन्नागयं जपणं तहागयस्स जीवस्स सरूविस्स मकम्मस्स सरागस्स सवेद[स्स समोहस्स मलेसस्स मसरीरस्स ताओ सरीराओ अविप्पमुक्कस्स एवं पन्नायति, तंजहा-कालत्ते वा जाव सुकिहैल्लत्ते वा सुम्मिगंधत्ते या दुन्भिगंधत्ते वा तित्ते वा जाव महुर० कक्खडत्ते जाव लुक्खत्ते, से तेणटेणं गोयमा ! | जाव चिट्टित्तए ॥ मचेच णं भंते ! से जीवे पुत्वामेच अरूवी भवित्ता पभू रूवि विउब्वित्ताणं चिहित्तए !, णो तिगट्टे जाव चि०, गो! अहमेयं जाणामि जाव जन्नं तहागयस्स जीवस्स अरूवस्स अकम्मस्स अरागस्स IMI अवेदस्स अमोहस्म अलेसम्म अमरीरस्म ताओ सरीराओ विप्पमुक्कस्स णो एवं पन्नायति, तं०-कालत्ते वा जाव । SUCCCC For Private And Personal

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