Book Title: Bhagvati Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 481
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मंते तहेव, अजीया जहेव उवरिल्ल चरिमंते तहेव ॥ इमीसे ण भंते ! रयणप्पभाए पुढबीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते ! व्याख्या किं जीवा ? पुच्छा, गोयमा! नो जीवा एवं जहेब लोगस्स तहेव चत्तारिवि चरिमंता जाव उत्तरिल्ले, उवरिल्ले: 1४१६ शतके प्रज्ञप्ति है। उद्देशः८ ॥१४०७० | जहा दम मसए विमला दिसा तहेव निरवसेसं, हेडिल्ले चरिमंते तहेव नवरं देसे पंचिंदिसु तियभंगोत्ति सेसं तं चेव, एवं जहा स्यणप्पभाए चत्तारि चरिमंता भणिया एवं सकरप्पभागवि उवरिमहेडिल्ला जहा रयणप्पभाए हेडिल्ले। एवं जाव अहे सत्तमाए, एवं सोहम्मस्सवि जाच अच्चुयस्स गेविजविमाणाणं एवं चेव, नवरं उवरिमहेडिल्लेसु चरमंतेसु देसेसु पंचिंदियाणवि मज्झिल्लविरहिओ चेव एवं जहा गेवेजविमाणा तहा अणुत्तरविमाणावि ईसिपम्भारावि (मत्रं ५८४)॥ [प्र०] हे भगवन् ! लोकना हेठलना चरमांतमा शुं जीवो छे-इत्यादि प्रश्न. [उ.] हे गौतम ! त्यां जीवो नथी, जीवदेशो छे. जीवप्रदेशो छ, यावत्-[ अजीवो, अजीवना देशो अने] अजीवना प्रदेशो पण छे. जे जीवदेशो छे ते अवश्य एकेंद्रियना देशो छ १ अथवा एकेंद्रियोना देशो अने बेइंद्रियनो देश छे. २ अथवा एकेंद्रियोना देशो अने बेइंद्रियोना देशो छे. ए प्रमाणे वचला भांगा शिवाय वीजा बधा भांमा कहेवा, अने ते यावत्-अनिद्रियो मुधी जाणवू. सर्वना प्रदेशोनी बाबतमा पूर्व चरमांतना प्रश्नोत्तर प्रमाणे जाणवं, पण तेमा प्रथम भांगो न कहेवो. अजीवोनी बावतमां उपरना चरमांतमां कह्या प्रमाणे बंधु कहे. [प्र०] हे भगवन् ! आ रजप्रमा पृथ्वीना पूर्व चरमांतमा जीवो छे-इत्यादि पृच्छा. [उ०] हे गौतम ! त्यां जीवो नथी. जेम लोकना चार चरमांत कया| है| तेम रत्नप्रभाना पण चारे चरमांत यावत्-उत्तरना चरमांत सुधी जाणवा. दशमा शतकमां कहेल विमला दिशानी वक्तव्यता प्रमाणे For Private And Personal GHUSAKALCOGNx

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