Book Title: Bhagvati Sutram Part 05
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 454
________________ Shri Mahavir Jain Arena Kendra व्याख्या-1 प्रशति www.kobatirth.org Acharya Shri n garsuri Gyanmandir मा [म.] हे भगवन् । दशम भक्त (चार उपवास) बरनारो श्रमण निय जेटई कर्म खपावे तेरहुं गर्म नैरयिक जीवो नरकमा एक क्रोड बरसे, अनेक कोड वरसे के कोटाकोटी परसे खपावे ? [१०] हे गौतम ! ए अर्थ समर्थ नथी. [व] भगवन् र १५ बालके दूप्रमाणे आप शा हेतुथी कहो छो के 'अमग्लायक भमण निथ जेटलुं कर्म खपाचे तेटलुं कर्म नैरयिक जीवो नरकमा एक बरसे, उमेशा है अनेक वरसे के एक सो घरसे पण खपावे, अने चतुर्थभक्त करनार श्रमण निथ जेटलं कर्म खपावे तेटलुं कर्म नैरयिको नरकमा सो बरसे, अनेक सो बरसे के लाख मरसे न खपावे-इत्यादि धुं पूर्व सूत्रनी पेठे कहे, यावत्-कोटाकोटी वरसेन खपावे?' [उ.] हे गौतम ! जेम कोई एक घरडो, घरपणथी जर्जरित शरीरवाळो, ढीला पडी गएला अने चामडीना बळीयावर व्याप्त धयेला | गात्रवाळो, थोग अने पडी गएला दांतबाळो, गरमीथी व्याकुल थयेलो, तरसथी पीडाएल, दुःखी, भूख्यो तरसो, दुर्वल बने मानसिक क्लेशचाळो पुरुष होय अने ते एक मोटा कोशच नामना पवनी सकी, बांकी चुंकी गांठोपाळी, चिकणी, वांकी अने निरा. | धार रहेली मंडिका-गंडेरी उपर एक सुंड (बुट्टा) पाशुबडे प्रहार करे, तो ते पुरुष मोटा मोटा शन्दो (हुंकार) करे पग मोटा मोटा ककडा न करी शके. एज प्रमाणे हे गौतम! नैरयिकोर पोताना पापकमों गाढ कया छ, चिकणा का के-इत्यादि अधुं छड्डा शतकमां कमा प्रमाणे को. यावत्-तेथी ते नैरयिको (अत्यंत वेदनाने वेदतां छतां पण महानिर्जरावाळा अने) निर्वाणरुप फलवाला यता नथी. बळी जेम कोई एक पुरुष एरण उपर पण मारतो मोटा सन्द करे (परन्तु ते एरणना स्थल पुद्गलोने वोटवाने समर्थ थितो नथी, ए प्रमाणे नैरयिको गाढ कर्मवाळा होय, तेथी तेओ) यावद-महापर्यवसानवाला नथी. तथा जेम कोई एक तरुण बलवान, यावत्-मेधावी अने निपुण कारीगर पुरुष एक मोटा शिमगाना वृक्षनी लीली, जटा विनानी, गांठो पिनानी, चिकाश131 RESSES For Private And Personal

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