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Shri Mahavir Jain Aradhali
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द्वियाए देवीए मझमज्झेणं वीइवएज्जा, णो इणढे ममढे, व्याख्याIN [प्र०] हे भगवन् ! महद्धिक-महाशक्तिवाळो देव अल्पशक्तिवाला देवनी वचोवच थईने जाय ? [उ.] हा, गौतम! जाय.
१.शतके प्राप्तिः [म.] है भगवन् ! ते महर्द्धिक देव शुं ते अल्पशक्तिवान देवने विमोह पमाडीने जइ शके के विमोह पमाड्या विना जइ शके ?|| उद्देशा ॥८९९॥ [उ०] हे गौतम ! विमोह पमाडीने पण जइ शके अने विमोह यमाच्या विना पण जइ शके. [प्र०] हे भगवन् ! ते महर्द्धिक देव M८९९॥
शुं पूर्वे विमोह पमाडीने पछी जाय के पूर्व जाय अने पछी विमोह पमाडे ? [उ०] हे गौतम ! ते महर्द्धिक देव पडेलां विमोह पमाडीने पछी जय, के पहेला जइने पछी विमोह पमाडे. [प्र०] हे भगवन् ! अल्पशक्तित्राळो असुरकुमार महाशक्तित्राळा असुरकुमारनी चचोवच थइने जब शके ? [उ०] हे गौतम ! आ अर्थ योग्य नथी.ए प्रमाणे सामान्य देवनी पेठे असुरकुमारना पण त्रण आलापक कहेवा. ए प्रमाणे यावत् स्तनितकुमार सुधी कहेवू, तथा बानव्यंतर, ज्योतिष्क अने वैमानिक देवोने पण ए प्रमाणे कहे. [प्र.] हे भगवन् ! अल्पशक्तिवाळो देव महाशक्तिवाळी देवीनी वचोवच थइने जाय ? [उ०] हे गौतम ! ए अर्थ योग्य नथी; अर्थात् न जाय.
समड्डिए णं भंते ! देवीए मज्झमझेणं० एवं तहेव देवेण य देवीण य दंडओ भाणियव्यो जाव वेमाणियाए। अप्पडिया णं भंते । देवी महड्डीयस्स देवस्स मज्झममज्झेणं एवं एसोवि ताओ दंडओ भाणियब्वोजावमहड्डिया वेमाणिणी अप्पड्डियस्स वेमाणियस्स मज्झमझेणं बीइवएजा, हंता वीइवएज्जा। अप्पड्डिया णं भंते! देवी महिड्डीयाए देवीए मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा?, णो इणढे समहे, एवं समड्डिया देवी समडियाए देवीए, तहेव, महड्डियावि देवी अप्पड्डियाए देवीए तहेव, एवं एकेके तिन्निर आलावगा भाणियव्वा जाव महड्डीया णं भंते ! वेमा
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