Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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सा मियावती देवी कोडंबियपुरिसेसद्दावेद को०२ एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया लहुकरणजुत्तंजोइयजाव
द्रा धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव उवट्ठवेंति जाव पचप्पिणंति। तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समव्याख्या-1 णोवासियाए सद्धिं पहाया कयबलिकम्मा जाव सरीरा बहूहिं खुजाहिं जाव अंतेउराओ निग्गच्छति अं० २ जेणेव
१२सतके प्रवाप्तिः
18 उद्देश्य बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उ०१ जाव रूढा । तए णं सा मियावती देवी जयंतीए ॥१.३२॥
१०३या समणोवासियाए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा समाणी नियगपरियालगा जहा उसभदत्तो जाव धम्मियाओ जाणप्पवराओ पचोरूहह । तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं बहहिं खुजाहिं जहा देवा. जंदा जाव बं० नम० उदायण रायं पुरओ कटु उितिया चेव जाव पज्जुवासइ । तए ण ममणे भगवं महा० उदा. यणस्स रन्नो मियावईए देवीए जयंतीए समणोवासियाए तीसे य महतिमहा. जाव धम्म परिसा पडिगया उदायणे पडिगए मियावती देवीवि पडिगया ( सूत्रं ४४२)।
ते काले. ते समये महावीर स्वामी समबरा, यावत् पर्षत पर्युपासना करे छे. त्यार बाद ते उदायन राजा आ (श्रमण भगः वंत महावीर पधार्यानी) वात सांभळी इष्ट तुष्ट थयो, अने तेणे कौटुंविक पुरुषोने बोलावी आ प्रमाणे कह्यु-'हे देवानुप्रियो ! शीघ्रज हाकौशांबी नगरीने बहार अने अंदर साफ करावो-इत्यादि बधु कूणिक राजानी पेठे कहेवु, यावत्-ते पर्युपासना करे छे, त्यार बाद
(श्रमण भगवंत महावीर पधार्यानी ) आ वात सांभळी ते जयंती श्रमणोपासिका हृष्ट अने तुष्ट थइ, अने ज्यां मृगावती देवी छे त्यां आवी तेणे मृगावती देवीने आ प्रमाणे कयु-ए प्रमाणे नवम शतकमां ऋषभदचना प्रकरणमा कह्या प्रमाणे जाणवु, यावत [ श्रमण
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