Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 232
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra माख्याप्राप्तिः ॥१०६९॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir परिघट्टे अनंतगुणे आणापपोग्गल अनंतगुणे मणपोग्गल अनंतगुणे वपो० अनंतगुणे वेडब्बियपो० परियत्तिणाकाले अनंतगुणे (सूत्रं ४४७ ) । [प्र० ] हे भगवन ! 'औदारिकपुद्गल परिवर्त औदारिकपुद्गल परिवर्त'- एम सा हेतुधी कहेवाय छे ? [30] हे गौतम ! औदा• रिकशरीरमां वर्तता जीवे औदारिकशरीरने योग्य द्रव्यो औदारिकशरीरपणे ग्रहण करेला है, स्पर्शेलां छे, करेला छे, स्थिर करेला छे, स्थापन करेला छे, अभिनिविष्ट सर्वथा लागेलां छे, सर्वधा प्राप्त धवेलां छे, सर्व अवयववडे ग्रहण करावेलां छे, परिणाम पामेलां छे, निर्जरायेलां छे, जीवप्रदेशथी नीकळेलां छे, अने जीवप्रदेशथी जूदा थयेलां छे, माटे ते हेतुथी हे गौतम! एम 'औदारिकपुद्रलपरिवर्त औदारिकपुद्गलपरिवर्त' कहेवाय छे. ए प्रमाणे वैक्रियपुद्गलपरिवर्त पण जाणवो. परन्तु विशेष ए के के, वैक्रियशरीरमां वर्तता जीवे वैक्रियशरीरने योग्य पुद्गलोकदेवां, बाकी बधुं तेज प्रमाणे कहे. ए प्रमाणे यावद् आनप्राणपुलपरिवर्त सुधी जाणं; विशेष एछे के, त्यां 'आनप्राणयोग्य सर्व द्रव्यो आनप्राणपणे ग्रां है' इत्यादि कहेवु, बाकी बधुं पूर्वनी पेठेज जाणवु [प्र० ] हे भगवन् ! औदारिकपुद्गलपरिवर्त केटला काळे नीपजे १ [अ०] हे गौतम ! अनन्त उत्सर्पिणी अने अवसर्पिणीवडे-एटला काळे-औदारिकपुलपरिवर्त नीपजे. ए प्रमाणे वैक्रियपुद्गलपरिवर्त पण जाणवो. ए प्रमाणे यावत् आनप्राणपुद्गल परिवर्त पण जाणवो. [प्र०] हे भगवन् ! ए औदारिकपुद्गलपरिवर्तना निष्पत्तिकाळमां, वैक्रियपुद्गलपरिवर्त निष्पत्तिकाळमां, याबद्-आनप्राणपुद्गलप रिवर्तना निष्पत्तिकाळमां कयो काळ कोनाथी (अल्प), यावत् विशेषाधिक छे ? [अ०] हे गौतम 1 सर्वथी थोडो कार्मणपुद्गलपरिवर्तनो निष्पत्तिकाळ छे, तेनाथी अनन्तगुण वैजसपुद्गल परिवर्तनो निष्पत्तिकाळ छे, तेनाथी अनन्तगुण औदारिकपुद्गल परिवर्तनो For Private And Personal १२ शतके उद्देश्४ ||१०३९॥

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