Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 228
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir ग. संखेज्जा असंखेजपएमिया खधा एग. अणतपएसिप खंधे भवति अहवा मंखिल्ला अणंतपएसिया खंधा पाल्पा- भवंति, असंखेज्जहा कजमाणे एगयओ असंखजा परमाणु एग. अणंतपएमिए खंधे भवड अवा एगयओ 11१२शतके प्रतिः उद्देशा ॥१०६ 3 असंखिजा दुपएसिया खंधा एग• अणंतपएसिए भवति जाव अहवा एग० असंखेज्जा सग्विजपएमिया एग. IPAR०६१० है| अणंतपएसिए भंवति अहवा एग. असंविला असंखिजपएमिया खंधा एग. अणतपमिग भवति अहवा| असंखेजा अणंतपएसिया खंधा भवति अणंतहा कन्जमाणे अर्णता परमाणुपोग्गला भवंति ।। (सूत्रं ४४५) । [प्र.] हे भगवन् ! अनन्त परमाणुपुद्गलो एकठा थाय अने एकठा थया पछी तेनु शु थाय ? (उ.] हे गौतम ! तेनो अन-131 न्तप्रदेशात्मक स्कन्ध थाय. जो तेना विभाग थाय तो , त्रण, यावत् दश, संख्यात. असंख्यात अने अनन्त विभाग थाय. बे! विभाग करवामां आवे तो एक तरफ परमाणुपुद्गल अने एक तरफ अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. यावद-अथवा वे अनन्तप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. जो तेना त्रण विभाग करवामां आवे तो एक तरफ वे परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध होय के. अथवा एकतरफ एक परमाणु, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ एक अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. यावद्अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध होय हे. अथवा एक तरफ एक परमाणु, अने एक तरफ चे अनन्तप्रदशिक स्कन्धो होय छे. अथवा एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ वे अनन्तप्रदेशिक स्कन्धो होय . ए प्रमाणे पाबद्-अथवा एक तरफ एक दशप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ वे अनन्तप्रदेशिक स्कन्धो होय . अथवा एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ वे अनन्त प्रदेशिक स्कन्धो होय छे. अथवा For Private And Persona

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