Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 227
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्याख्याप्रज्ञप्तिः ॥१०६०॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्रदेशिक स्कन्ध होय छे. ए प्रमाणे यावद् अथवा एक तरफ संख्याता दशप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ एक असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. अथवा एक तरफ संख्याता संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ एक असंख्य प्रदेशात्मक स्कन्ध होय थे. अथवा संख्याता असंख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय . जी तेना असंख्य विभाग करवामां आवे तो असंख्य परमाणुपुद्गलो थाय छे. अणताणं भंते! परमाणुपोग्गला जाब किं भवंति ?, गोयमा ! अनंतपएसिए बंधे भवति, से भिक्षमाणे दुहावि: तिहावि जाब दसहावि संखिज्जहा असंखिहा अणतहावि कज्जइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ अणतपएसिए खंबे जाव अहवा दो अनंतपएमिया बंधा भवति, तिहा कज्रमाणे एगयको दो परमाणु एगयओ अनंतपएसिए भवति अहवा एग० परमाणु० एग० दुपएसिए एग० अणतपएसिए भवति जाव अहवा एग० परमाणु एगः असंखेच पएमए एग० अनंत एसिए भवति अहवा एग० परमाणु० एग० दो अत एसिया भवंति अहवा एग० दुपएसिए एग दो अपएसिया भवंति एवं जाव अहवा एगयओ दसएसिए एगयओ दो अनंतपएसिया स्वधा भवंति अहवा एग• संखेज्जपदे० एगओ दो अनंतपएसिया धा भवंति अहवा एग असंखेजपरसिए बंधे एगयओ दो अनंतपएसिया खंधा भवंनि अहवा तिन्नि अनंत एमिया खंधा भवति, चउहा कज्रमाणे एग० तिन्नि परमाणु एगयओ अनंतपसि भवति एवं चक्कसंजोगो जाव असंखेज्जगसंजोगो, एते सब्वे जहेब असंखेजाणं भणिया तहेव अनंताणवि भागिवव्या नवरं एवं अणतगं अमहियं भाणिपव्वं जाव अह्वा एगयथो संखेजा संखिजप एसिया बंधा एग० अणंएपएसिया भवंति अहवा For Private And Personal १२ शतके उद्दे ॥१०६०॥

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