Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 208
________________ Acharya Shri Kalashsagarsun Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabalih.org . .] राजगृह नगरमा याबद्-आ प्रमाणे पूछयु-हे भगवन् ! बे परमाणुओ एकरूपे एकठा थाय, अने एकरूपे एकठा थइने व्याख्या पछी ते मुं थाय ? [-] हे मौत! तेनो द्विप्रदेशिक स्कंध थाय, अने जो तेनो मेद थाय तो तेना ये विभाग पाय-एक तरफ १२शतके 18| एक परमाणुगल रहे, अने वीजी तरफ एक (बीजो) परमाणुपुद्गल रहे. [प्र.] हे भगवन् ! त्रण परमाणुपुद्गलो एकरूपे एकठा थाय! 18 उद्देशा४ १४ अ ने एकठा थईने तेनु शु थाय ? [उ०] हे गौतम ! तेनो त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. जो तेनो भेद-वियोग थाय तो तेना वे के त्रण १०४१॥ विभाग थाय, जो वे विभाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, अने वीजी तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध रहे. तथा जो तेना त्रण विभाग थाय तो त्रण परमाणुपुद्गल रहे. [प्र०] हे भगवन् ! चार परमाणुपुद्गलो एकरूपे एकठा थाय :-इत्यादि प्रश्न. [उ०] हे गौतम ! चतुष्पदेशिक स्कंध थाय, अने जो ते स्कंधनो भेद थाय तो तेना वे, वण अने चार भाग थाय. जो वे भाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कंध रहे. अथवा बे द्विपदेशिक स्कंध रहे. जो वण भाग धाय तो एक मातरफ वे इटा परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध रहे. जो चार भाग थाय तो जूदा चार परमाणुपुदल रहे. हा पंच भंते! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा! पंचपएसिए खंधे भवइ, से भित्रमाणे दुहावि तिहावि चउहावि | पंचहावि कजइ, दुहा कजमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ चउपएसिए खंधे भवई अहवा एगयओ दुपए. सिए संघे भवति एगयो तिपएसिए खंधेभवइ, तिहा कज़माणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ तिप्पा. सिए खंघे भवति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले गयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति, चउहा कन्जमाणे एगमओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ दुप्पएसिए खंघे भवति, पंचहा कजमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवति । छम्भते । SECREASE For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235