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Shri Mahavir Jain Arad. Ke dra
व्याख्यामाप्तिः ॥१००१ ॥
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हत्थी हल्थिप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघर पडिरूचए अट्ठ जाणारं जाणप्पचराई अट्ठ जुगाई जुगप्पवराई एवं सिवि | याओ एवं संदमाणीओ एवं गिल्लीओ बिल्लीओ अट्ठ विपडजाणाई विगडजाण पवराई अट्ठ रहे पारिजाणिए अह रहे संगामिए अट्ठ आसे आसप्पवरे अट्ठ हत्थी हत्थिष्पवरे अह गामे गामप्पवरे दसकुल साहस्सिएणं गाणं ॥ त्यार पछी ते महाबल कुमारना माता पिता एत्रा प्रकार आ प्रीतिदान आपे छे, ते आ प्रमाणे आठ कोटि हिरण्य, आठ क्रोड सोनैया, मुकुटोमा उत्तम एवा आठ मुकुट, कुंडलयुगलमां उत्तम एवी आठ कुंडलनी जोडी, दारोमा उत्तम एवा आठ हार, अर्धारमा श्रेष्ठ एवा आठ अर्धहार, एकसरा हारमा उत्तम एवा आठ एकमरा हार, एज प्रमाणे मुक्तावलीओ, कनकावलीओ अने रत्ना वीओ जाणवी; कडा युगलमां उत्तम एवा आठ कहानी जोडी, ए प्रमाणे तुडिय - बाजुबंधनी जोडी, रेशमी वस्त्र युगलमां उत्तम एवा आठ रेशमी वस्रनी जोडी, ए प्रमाणे सूतराउ वढनी जोडीओमां उत्तम एवी आठवतराउ वखनी ओडीओ, ए प्रमाणे टसरनी जोडीओ, पट्टयुगलो, दुकूलवुगलो, आठ श्री, आठ ही, ए प्रमाणे घी, कीर्ति, बुद्धि, अने लक्ष्मी देवीओनी प्रतिमा जाणवी. आठ नंदो, आठ भद्रो, ताडमां उत्तम एवा आठ बालवृक्ष-ए सर्वरत्नमय जाणवा. पोताना भवनना केतु-चिह्नरूप ध्वजमां उत्तम एवा | आठ ध्वजो दस हजार गायोनुं एक व्रज-गोकुल थाय छे, तेवा गोकुलमां उत्तम एवा आठ गोकुलो, नाटकोमां उत्तम अने बत्रीश माणसोथी भजवी सकाय एवा जाठ नाटको, घोडाओमां उत्तम एवा आठ घोडा, आ बधुं रलमय जाणवुं. भांडागार समान हाथीओमां उत्तम एत्रा आठ रत्नमय हाथीओ, भांडागार समान सर्वरत्नमय यानोमां श्रेष्ठ एवा आठ यानो, युग्यमां उत्तम आठ युग्यो (अमुकजातना वाहनो) ए प्रमाणे शिविका, स्वदंमानिका ए प्रमाणे गिल्ली, (हाथीनी उपरनी अंबाडी), थिल्लिओ (घोडाना आडा पलाणी ),
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१२ शतके उद्देशः ११ ॥१००१॥