Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 188
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana tapira www.kobatirth.org Acharya l ashsagarsuri Gyanmandir व्याख्या प्राप्ति ११०२१॥ १२शतके उद्देश ॥१०२१॥ CARE परिभुजेमाणा परिभाएमाणा पक्खिय पोसहं पडिजागरमाणा विहरिस्सामो, तए णं ते समणोवासगा संखस्स समणोवासगस्स एयमझु विणएणं पडिसुणंति, तए णं तस्स संखस्स समणोवाममस्स अयमेयारूवे अभत्थिए जाव समुप्पजिस्था-नो खलु मे सेयतं विउलं असणं जाव साइम आसाएमाणस्स ४ पक्खियं पोसह पडिजागा रमाणस्स विहरित्तए, सेयं खलु मे पोसहसालाए पोसहियस्स बंभचारिस्स उम्मुकमणिसुबन्नस्स ववगयमालाव. नगविलेचणस्स निक्खित्तसस्थमुसलस्स एगस्स अविइयस्स दम्भसंधारोवगयस्स पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेतिरजेणेच सावत्था नगरी जेणेव मए गिहे जेणेव उप्पला समणोवासिया तेणेव उचा० २ उप्पलं समणोवासियं आपुच्छह २ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ २ पोसह सालं अणुपविसह २ | पोसहसालं पमजद पो०२ उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ उ०२ दम्भसंधारगं संधरति दन्भ.२ दम्भसंथारंग दुरूहह दु०२ पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव पक्खियं पोसह पडिजागरमाणे विहरति, पछी ते शंख नामे श्रमणोपासके ए बधा श्रमणोपासकोने आ प्रमाणे कडं के हे देवानुप्रियो तमे पुष्कळ अशन, पान, खादिम अने खादिम आहारने तैयर करावो. पछी आपणे पुष्कळ अशन, पान, खादिम अने स्वादिम आहारनो आखाद लेता, विशेष स्वाद लेता, परस्पर देता अने खाता पाक्षिक पोषधनुं अनुपालन करता विहरीशु. त्यार पछी ते श्रमणोपासकोए शंख नामना श्रमणोपासकनुं वचन विनयपूर्वक स्वीकार्य. त्यार बाद ते शंख नामे श्रमणोपासकने आवा प्रकारनो आ संकल्य यावद् उत्पन्न थयो-'अशन, यावत् स्वादिम आहारनो आखाद लेता, विस्वाद लेता, परस्पर आपता अने खाता पाक्षिक पोषधने ग्रहण करीने रहेवुमने श्रेयस्कर MAHACKERALKIESEX For Private And Personal

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