Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aracha
!
www.kobatiram.org
Acharya
agarsuri Gyanmandir
वासगं बंदति नमंसति वं. न. आसणेणं उवनिमंतेइ आ० २ एवं वयासी-संदिसंतु णं देवाणुप्पिया! किमाग
मणप्पयोयणं ,तए णं से पोक्खली समणोवासए उप्पलं समणोवासियं एवं बयासी-कहिन्नं देवाणुप्पिए ! संखे बारे व्याख्या
समणोवासएतए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्वलं समणोवासयं एवं दयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया! उद्देशार प्रवतिः ॥१०२३॥ संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव विहरह।
१०२शा त्यार बाद ते श्रमणोपासकोए श्रावस्ती नगरीमा पोतपोताने घेर जइ, पुष्कळ अशन, पान, खादिम अने स्वादिम आहारने तैयार करावी ४. परस्पर एक बीजानेबोलावी आप्रमाणे कयु-'हे देवानुप्रियो !आपणे पुष्कळ अशन, पान, खादिम अने स्वादिम आहारने तैयार करावेलो
छे, पण ते शंख श्रमणोपासक जलदी आव्या नहि, माटे हे देवानुप्रियो ! आपणे शंख श्रमणोपासकने बोलावया श्रेयस्कर छे. त्यारवाद | ते पुष्कली नामना श्रमणोपासके ते श्रमणोपासकोने आ प्रमाणे कयु-'हे देवानुप्रियो! तमे शांतिपूर्वक विसामो ल्यो,अने हुं शंख श्रम| णोपासकने चोलावूछुएम कही श्रमणोपासकोनी पासेथी नीकळी श्रावस्ती नगरीना मध्य भागमा ज्यां शंख श्रमणोपासकनु घर छे,त्यां जइ तेणे शंख श्रमणोपासकना घरमा प्रवेश कर्यो. पछी ते [Sख श्रावकनी पत्नी] उत्पला श्रमणोपासिका ते पुष्कलि श्रमणोपासकने आवतो जोइ, हर्षित अन संतुष्ट थई पोताना आसनथी उठी सात आठ पगलां तेनी सामे जइ पुष्कलि श्रमणोपासकने वांदी अने नमी | आसनवडे उपनिमंत्रण कर्या बाद आ प्रमाणे बोली- 'हे देनानुप्रिया कहो,के तमारा आगमननु शु प्रयोजन छ? त्यारे ते पुष्कलिश्रमणोपासिकाने आ प्रमणे कयु-हे देवानुप्रिये शंख श्रमगोपासक क्यां छे? त्यार बाद ते उत्पला श्रमणोपासिकाए ते पुष्कलि श्रमणोपास-16 कने आ प्रमाणे को-'हे देवानुप्रिया खरेखर शंख शंखा श्रमणोदासक पोषधशालामा पोषध ग्रहण करी ब्रह्मचारी थइने यावद् विहरे छे.
ROCKIEDOS
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235