________________
www.kobatirth.org
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
Acharya Shri Kailashsagarsur Gyarmandir
व्याख्याप्राप्ति ॥९२६॥
& ११शतके
उदेश
॥९२६॥
ACCIAS
तेणं कालेण तेणं समएणं रायगिहे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-उप्पले ण भंते ! एगपत्तए कि एगजी अणेगजीवे?, गोयमा! एगजीवे नो अणेगजीवे, तेण परं जे अन्ने जीवा उववज्जति ते णं णो एगजीवा अजेगजीवा । ते णं भंते ! जीवा कओहिंतो उववजंति किनेरइएहिंतो उववज्जति तिरि० मणु० देवेहिंतो उववजंति? |गोयमा! नो नेरतिएहिंतो उववज्रति तिरिक्खजोणिएहिंतोवि उववजन्ति माणुस्सेहिंतो देवेहिंतोधि उवववति, एवं उववाओ भाणियब्बो, जहा वकंतीए वणस्सइकाइयाणं जाव ईसाणेति ११ ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजंति?, गोयमा! जहन्नेणं एको वा दो वा तिन्नि वा उकोसेणं संखजा वा असंखज्जा वा उववखंति २।।
प्र०] ते काले-ते समये राजगृह नगरने विषे पर्युपासना करता (गौतम) आ प्रमाणे बोल्या-हे भगवन् ! उत्पल | एक जीव8. वाळुळे के अनेकजीववावं छे ? [उ०] हे गौतम ! ते एक जीववाढू छे, पण अनेक जीववाळु नथी. त्यार पछी ज्यारे ते उत्पलने द विषे वीजा जीवो-जीवाश्रित पांदडा वगेरे अवयवो-उगे छे त्यारे ते उत्पल एक जीववाळु नथी, पण अनेक जीववाळु छे. [H०] हे | भगवन् ! (उत्पलमां) ते जीवो क्याथी आवीने उपजे ई-शुं नैरयिकथी, तिर्यची, मनुष्यथी के देवथी आवीने उपजे छे ? [उ०]
हे गौतम ! ते जीवो नैरयिकथी आवीने उपजता नथी, पण तिर्यचथी, मनुष्यथी के देवथी आवीने उपजे छे. जेम प्रज्ञापनासत्रनां Mव्युत्क्रांतिपदमां कयु छे ते प्रमाणे वनस्पतिकायिकोमा यावत् ईशान देवलोक सुधीना जीवोनो उपपात कडेवो. [प्र०] हे भगवन् !
ते जीवो (उत्पलमां) एक समयमा केटला उत्पन्न थाय! [उ.] हे गौतम ! जघन्यथी एक, बे के व्रण अने उत्कृष्टथी संख्यात के असंख्याता जीवो एक समयमा उत्पन्न थाय,
KAHA-RSHCARKHAN
For Private And Personal