Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

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Page 165
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir ११श्वक व्याख्या प्रप्तिः ।९९८॥ उदेशभर ॥९९८॥ 5CROCA करी तेज मित्र, ज्ञाति यावत् राजन्य अने क्षत्रियोनी समक्ष अर्या-पिता, पर्या-पितामह अने पिताना पण पितामहथी, घणा पुरु पीनी परंपराथी वघेलं, कुलने योग्य, कुलने उचित ने कुलरूपसंतानतंतुने वधारनार आ आरा प्रकारचें, गुणयुक्त अने गुणनिष्पन्न है नाम पाडे छे. जेथी अमारो आ छोकरो बल राजानो पुत्र अने प्रभावति देवीनो आत्मज छे, माटे ते अमारा आ पुत्रनुं नाम 'महा बल' हो. त्यार राद ते छोकराना माता पिता तेनुं 'महाबल' एवं नाम कर छ. हा तए णं से महव्वले दारण पंचधाईपरिग्गहिए, तंजहा-खीरधाईए एवं जहा दढपइन्ने जाव निवाय. निवाघायंसि सुहसुहेणं परिवति । तए णं तस्स महब्बलस्म दारगस्स अम्मापियरो अगुपुत्वेणं ठितिवडिय वा चंडसूरदसावणिय वा जागरिय या नामकरण वा परंगामगं वा पयचंकामणं वा जेमाणं वा पिंडवद्धणं वा पजदीपावणं वा कण्णवेहणं वा संवच्छरपडिलेहण वा चोलोयणगच उवणयणं च अन्नाणि य बहणि गम्भाधाणजम्म णमादियाई कोउयाई करेंति । तए णं तं महन्चल कुमारं अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासगं जाणित्ता सोभणसि तिहिकरणमुहुत्तसि एवं जहा ददपइन्नो जाव अलं भोगसमत्थे जाए यावि होत्था। तए ण तं महब्बलं कुमार उम्मुकमालभावं जाव अलं भोगसमत्य विजाणित्ता अम्मापियरो अटु पासायव.सए करेंति २ अब्भुग्गयमूसियपहसिए इव वन्नओ जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पडिरूवे, तेसिणं पासायव.सगाणं वमझदेसभागे एत्य णं महेगं भवणं करेंति अणेगखंभसयंसंनिविटुं वन्नओ जहा रायपसेणइज्जे पेच्छाघरमंडवंसि जाव पडिरूवे (सूत्रं ४२९।।) त्यार पछी ते महाबल नामे पुत्रनुं पांच धावो बडे पालन करा. ते पांच धावो आ प्रमाणे छे-क्षीरधात्री, ए प्रमाणे धुं दृढ AAAAAAAERAKASX For Private And Personal

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