Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
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भ्याख्या
ना१शतक
देशात ॥९८०॥
4॥९८०॥
हित, माथे अने पगे ओशीकावाळी, बन्ने बाजुए उंची, वचमां नमेली अने विशाल, गंगाना किनारानी रेतीनी रेताळ सरखी (अत्यंत कोमल), भरेला क्षौमिक-रेशमी दुकूलना पट्टयी आच्छादित, रजवाणथी (उडती धूळने अटकावनार वस्त्रथी) ढंकायेली, रक्तांशुक-मच्छरदानी सहीत, मुरम्य, आजिनक (एक जात चामडार्नु कोमळ वस्त्र), रू, बरु, माखण अने आकडाना रूना समान
स्पर्शवाळी, सुगंधि उत्तम पुष्पो चूर्ण, अने वीजा शयनोपचारथी युक्त एवी शय्यामां कंडक सुती अने जागती निद्रा लेती लेती प्रभा४ वती देवी अर्धरात्रीना समये आ एवा प्रकारना उदार, कल्याण, शिव, धन्य, मंगलकारक अने शोभा युक्त महाखमने जोड़ने जागी.
हाररययखीरसागरससंककिरणदगरयरययमहासेलपंडुरतरोरुरमणिजपेच्छणिज्न थिरलट्ठपउहवढपीवरसुसि. लिविसिट्ठतिक्खदाढाविडंबियमुहं परिकम्मियजचकमलकोमलमाइयसोभंतलहउह रत्तुप्पलपत्तम उपसुकुमालतालुजीहं मूसागयपवरकणगतावियआवत्तायंतवद्दतडिविमलसरिसनयणं विसालपीयरोरु पडिपुन्नविमलखधं मिउ. विसयमुहमलक्वणपसस्थविच्छिन्नकेसरसडोवसोभियं अमियसुनिम्मियसुजायअप्फोडियंलगूलं सोमं सोमाकारं लीलायतं जभायंत नहयलाओ ओषयमाणं निययययणमतिवयंतं सीहं सुविणे पासित्ताणं पडिबुद्धा। तए णं सा पभावती देवी अयमेयारूवं ओरालं जाव सस्सिरीयं महासुविणं पासित्ता णं पडिवुद्धा समाणी हट्टतुट्ट जाव हियया धाराहयकलंबपुष्फगंपिव समूससियरोमकूवा तं सुविणं ओगिण्हति ओगिण्हित्ता सयणिजाओ अन्भुट्टेड सयणिज्जाओ अन्भुटेता अतुरियमचवलमसंभताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गईए जेणेव बलस्स रन्नो सयणिजे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता बलं राग ताहिं इहाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं ओरा:
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दमकककसक

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