Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher: Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir
व्याख्या
॥९९४॥
NERAKASKAR
त्यार बाद ते प्रभावती देवी बल राजानी पासेथी ए वातने सांभळीने अवधारीने हर्षवाळी, अने संतुष्ट थइ यावत हाथ जोडी आ प्रमाणे बोली-'हे देवानुप्रिय! ए ए प्रमाणे ज छे' यावद् एम कही यावत् ते खप्नने सारी रीते ग्रहण करे के, त्यार पछी बल राजानी अनुमतिथी अनेक प्रकारना मणी अने रत्ननी कारीगरीथी युक्त तथा विचित्र एवा ते भद्रासनथी उठी त्वरारहित, अचपल
१९शतके पणे यावत् हंससमानगति वडे ज्या पोतानुं भवन छे त्यां आवी तेणे पोताना भवनमा प्रवेश कयों. त्यार बाद ते प्रभावती देवी
| उद्देश-११
॥१९॥ स्नान करी, बलिकर्म-देवपूजा करी, यावत् सर्व अलंकारथी विभूषित थइ ते गर्भने अतिशीत नहि, अतिउष्ण नहि, अति तिक्त नहि, अतिकटु नहि, अति तुरा नहि, अतिखाटा नहि, अने:अतिमधुर नहि एवा, तथा दरेक ऋतुमां भोगवतां सुखकारक एवा भोजन, आच्छादन गंध अने माला वडे ते गर्मने हितकर, मित, पथ्य अने पोषणरूप छे तेवा आहारने योग्य देश अने योग्य कळे ग्रहण करती, तथा पवित्र अने कोमळ शयन अने आसनवडे एकान्तमा सुखरूप अने मनने अनुकूल एवी विहारभूमिवडे प्रशस्त दोहदवाळी, संपूर्ण दोहदवाळी, सन्मानित दोहदवाळी, जेनो दोहद तिरस्कार पाम्यो नथी एची, दोहदरहित, दूर थयेला दोहदवाळी, तथा रोग, मोह, भय अने परित्रास रहित ते गर्भने सुखपूर्वक धारण करे छे. त्यार बाद ते प्रभावती देवीए नव मास पूर्ण थया पछी अने साडा सात दिवस वीत्या पछी मुकुमालहाथ-पगवाला अने दोषरहित प्रतिपूर्णपंचेन्द्रिय युक्त शरीरवाळा, तथा लक्षण, व्यंजन अने 3 गुणथी युक्त, यावत् चंद्रसमानसौम्य आकारवाळा, कांत, प्रियदर्शन अने मुंदर रूपवाळा पुत्रने जन्म आप्यो.
तए णं तीसे पभावतीए देवीए अंगपडियारियाओ पभावर्ति देविं पसूर्य जाणेसा जेणेच बले राया तेणेव उबागच्छन्ति तेणेच उवागच्छित्ता करयल जाव यलं रायं जयेणं विजएणं वद्धावेंति जपणं विजएणं वदावेत्ता एवं
SACRACKGREEN
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235