Book Title: Bhagvati Sutram Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 160
________________ Shri Mahavir Jain Arach a www.kobatirth.org Achary a shsagarsur Gyanmandir व्याख्या ११शतके उद्देश११ ॥९९३॥ ATESERS एक महास्वप्न जोयु छे, हे देवी! तमे उदार स्वप्न जोयुं छे, यावद् ते राज्यनो पति राजा थशे के भावितात्मा अनगार थशे. हे| देवि! तमे उदार स्वप्न जोयुं छे, यावत् मंगलकर स्वप्न जोयुं छे, एम कही प्रभावती देवीनी ते प्रकारनी इष्ट, कांत, प्रिय एवी यावद् मधुर वाणीवडे वे चार अने त्रण वार पण प्रशंसा करे छे.. तएणं सा पभावती देवी बलस्स रन्नो अतियं एयम सोचा निसम्म हट्ठतुट्टकरयलजाब एवं वयासी-एयमेयं देवाणुप्पिया! जाय तं सुविणं सम्म पडिच्छति तं सुविणं सम्म पडिच्छित्ता बलेणं रन्ना अब्भणुनाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्त जाव अन्भुढेति अतुरियमचलजावगतीग जेणेव सए भवणे तेणेव उवागच्छद तेणेव उवागच्छित्ता सयं भवणमणुपविट्ठा । तए णं सा पभावती देवी पहाया कयवलिकम्मा जाव सम्वालंकारविभूसिया तं गम्भं णाइसीएहिं नाइउण्हेहिं नाइतित्तेहिं नाइकडुएहिं नाइकसाएहिं नाइअंबिलेहिं नाइमहुरेहिं उउभ| यमाणसुहेहिं भोयणच्छायणगंधमल्लेहिं जं तस्स गन्भस्स हियं मितं पत्थं गम्भपो सणं तं देसे य काले य आहार| माहारेमाणी विवित्तमउएहिं सयणासणेहिं पइरिकसुहाए मणोणुकूलाए विहारभूमीए पसत्यदोहला संपुन्नदोहला सम्माणियदोहला अवमाणियदोहला कोच्छिन्नदोहला ववणीयदोहला ववगयरोगमोहभयपरित्तासा तं गम्भं सुहमहेणं परिवहति । तए णं सा पभावती देवी नवण्हं मांसाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाण राइंदियाणं वीतिकताणं सुकुमालपाणिपाय अहीणपडिपुन्नपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववेयं जाव ससिसो-माकारं कंतं पियदसणं सुरूवं दारयं पयाया। For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235