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प्याख्याप्राप्तिः ॥९१४॥
[प्र. हे भगवन् चिरोचनेन्द्र बलिने केटली पट्टगणीओ कही छ ? [30] हे आर्य! पांच पट्टराणीओ कही छे; ते सप्रमाणेशुभा, निशुंभा, रंभा, निरंभा अने मदना. तेमांनी एक एक देवीने आठ आठ हजार देवीओनो परिवार होय हे-इत्यादि सर्व चमरेन्द्रनी पेठे जाणवू परन्तु बलि नामे इन्द्रने बलिचंचा नामे राजधानी छे. अने तेनो परिवार तृतीय शतकना प्रथम उद्देशकमां कहा
१०शसके |प्रमाणे जाणवो, बाकी सर्व पूर्व प्रमाणे जाणवू. गवत् ते मैथुननिमित्त भोग भोगववा समर्थ नथी. [प्र.] हे भगवन् ! वैरोचनेन्द्र
उद्देशा५ | वैरोचनराजा बलिना (लोकपाल) मोम नामे महाराजाने केटली पट्टराणीओ कही हे ? [उ०] हे आर्य! चार पट्टराणीओ कही छे, ने
४ ॥९१४॥ आ प्रमाणे-मेनका, मृभद्रा, विजया अने अशनी. तमा एक एक देवीनो परिवार वगेरे बधुं चमरना सोम नामे लोकपालनी पेठे
जाणवू. प प्रमाणे यावत् वैश्रमण सुधी जाणवू. [म०] हे भगवन् ! नागकुमारना इन्द्र अने नागकुमारना राजा धरणने केटली पट्टा पाणीओ कही हटे १ [उ.] हे आर्य : तेने छ पट्टराणीओ कही ने, ते आ प्रमाणे-इला, शुक्रा, सनाग, सौदामिनी, इन्द्रा अने घनवि
धुव. तेमां एक एक देवीने छ छ हजार देवीओनो परिवार कह्यो छे. [F०] हे भगवन् ! तेमांनी एक एक देवी अन्य छ छ हजार देवीओना परिवारने विकुर्वी शके ? [२०] तेश्रो पूर्वे कह्या प्रमाणे पूर्वापर सर्व मळीने छत्रीश हजार देवीओने विकुर्ववा समर्थ छे. ए, प्रमाणे ते त्रुटिक देवीओनो समूह) कह्यो. [प्र०] हे भगवन् ! | धरणेन्द्र पोताना धरणा नाये राजधानीमां धरण नामे सिंहासनमां 8 वेसी पोताना परिवार देवीओ साथे भोग भोगववा समर्थ हे इत्यादि [उ.] बाकी सर्व पूर्ववत् जाणवू, (अर्थात मैथुननिमित्ते त्यां भोग भोगववा समर्थ नयी.)
धरणस्म ण भंते ! नागकुमारिंदस्स कालवालस्स लोगपालस्स महाग्न्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ',अजो!
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