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१०शतके
व्याख्याप्रचप्तिः
| उना५
॥९१६॥
18॥११॥
CASE-CA
पिसायरन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ?, अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नसाओ, तंजहा-कमला कमलप्पभा उम्पला सुदंसणा, तत्य णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देविसहस्सं सेसं जहा चमरलोगपालाणं, परियारो तहेव, नवरं कालाए रायहाणीए कालंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव, एवं महाकालस्सवि ।
प्र०] हे भगवन् ! भूतानेंद्रना लोकपाल नागवित्तने केटली पट्टराणीओ कही छे १ [उ०] हे आर्य ! तेने चार पट्टराणीओ कही छे. ते आ प्रमाणे--सुनंदा, सुभद्रा, सुजाता अने सुमना. तेमा एक एक देवीनो परिवार वगेरे वधुं चमरेन्द्रना लोकपालोनी पेठे जाणवू. ए प्रमाणे बाकी रहेला त्रणे लोकपालोना संबन्धे जाणवं. जे दक्षिण दिशिना इन्द्रो छे तेओने धरणेन्द्रनी पेठे (सू. १८.) जाणवू, अने तेओना लोकपालोने पण घरणेंद्रना लोकपालोनी पेठे जाणवं. तथा उत्तर दिशिना इंद्रोने भूतानेंद्रनी पेठे (. १३.) जाण. तेओना लोकपालोने पण भूननेंद्रना लोकपालोनी पेठे जाण; परन्तु विशेष एके के सर्व इन्द्रोनी राजधानीओ अने सिंहासनो इंद्रना समान नामे जाणवां. अने तेओनो परिवार तृतीय शतकना प्रथम उद्देशकमा कह्या प्रमाणे समजवो. तथा बधा लोकपापालोनी राजधानीओ अने सिंहासनो पण तेओनां समान नामे जणवां. अने तेओनो परिवार चमरेन्द्रना लोकपालोना परिवारनी पेठे जाणवो. [प्र.] हे भगवन् ! पिशाचना इंद्र अने पिशाचना राजा कालने केटली पट्टराणीओ कही छे ? [उ.] हे आर्य! तेनें चार पट्टराणीओ कही छे. ते आ प्रमाणे-कमला, कमलप्रभा, उत्पला अने मुर्शना. तेमांनी एक एक देवीने एक एक हजार देवीनो
परिवार छ, बाकी वधुं चमरना लोकपालोनी पेठे जाणवू, अने परिवार एण तेज प्रमाणे जाणवो. परन्तु विशेष ए छे के काला नामे : राजधानी अने काल नामे सिंहासन जाण. तथा बाकी बधुं पूर्व कह्या प्रमाणे जाणवं. ए प्रमाणे महाकालसंबंधे पण जाण..
HECK-SHETECE
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