Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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प्रस्तावना
मुझे कृतार्थ किया। सुप्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. डॉ० उपेन्द्र ठाकुर, विभागाध्यक्षप्राचीन भारतीय एवं एशियाई इतिहास एवं संस्कृति, मगधविश्वविद्यालय बोधगया ने अपना विद्वत्तापूर्ण Foreword लिखकर इस ग्रन्थ के महत्त्व को बढ़ाने को कृपा की, उसके लिए मैं उनका चिरऋणी रहूँगा। श्रद्धेय गुरुवर पं. कैलाशचन्द्र जी शास्त्री ने मेरी प्रस्तावना का अध्ययन कर अपने महत्त्वपूर्ण सुझाव दिये, अतः उनके स्नेह के प्रति भी कृतज्ञ हूँ। प्रो. डॉ. दिनेन्द्रचन्द्र जी जैन, रीडर-वाणिज्य विभाग, ह. दा. जैन कालेज आरा के प्रति भी मैं कृतज्ञ हूँ, जिन्होंने मेरी साहित्यसाधना में आने वाले गतिरोधों से मुझे मुक्त रखने का प्रयत्न किया। अपनी धर्मपत्नी प्रो. डॉ. विद्यावती जैन को धन्यवाद देना तो अपने को ही धन्यवाद देने के समान होगा। प्रस्तुत कृति की पाण्डुलिपि एवं शब्दानुक्रमणी तैयार करने में उसका बड़ा भारी योगदान रहा। उन अनेक लेखकों एवं सम्पादकों के प्रति भी मैं आभार व्यक्त करता हूँ, जिनकी रचनाओं के अध्ययन से सुषुप्तावस्था में पड़ी प्रस्तुत ग्रन्थ-सम्पादन सम्बन्धी अपनी अज्ञात-भावना को मैं भी मूर्त रूप प्रदान कर सका। सन्मति मुद्रणालय के व्यवस्थापकों के प्रति भी आभार व्यक्त करता हैं, जिन्होंने इसके मुद्रण में हर प्रकार से तत्परता दिखलाई । सावधानी रखने पर भी इस ग्रन्थ में अनेक त्रुटियों का रह जाना सम्भव है, उनके लिए कृपालु पाठकों से क्षमायाचना कर विनम्र निवेदन करता हूँ कि वे उनको सूचना मुझे प्रेषित करने की कृपा करें, जिससे अगले संस्करण में उनका सदुपयोग कर सकूँ।
महाजन टोली नं०२ आरा ( विहार) श्रुतपंचमी २७-५-१६८२ ( गुरुवार )
विदुषामनुचरः राजाराम जैन
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