Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
View full book text
________________
१८
भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक
[९] Finding the chaged seat, Cāņakya is enraged with King Nanda. He along with Candragupta joins the enemy King ( Puru or Parwataka ) of Pratyanta and with his help completely annihilates King Nanda and
makes Candragupta the King of Padalipura.
मज्झु जि भोजासणु किं चालियउ केणारण्णि हुवासणु घालियउ । मंति भणिउ णिवहु आएसें तुम्हासणु अवहरिउ विसेसें। ता मज्झासणि तेण णिउत्तउ कइपय वासर वइसिवि मुत्तउ । पुणु तत्थउ वि चालिउ जामहिँ मणि कुद्धउ चाणक्कउ तामहिँ। 5 पुरवराउ भासंतउ णिग्गउ महु कुडि जो लग्गइ सो लग्गउ ।
णंद-रज्जु तहु देमि अभग्गहु इय भासंतु जाइ णंदिग्गहु । तं सुणि को वि चंदगुत्ति जि भडु तासु पिट्टि लग्गउ अरि-खय-पडु। तिं पच्चंत-वासि-अरिरायहँ गंपि मिलेप्पिणु भूरि-सहायहँ !
गंदहु रज्जु समरि उद्दालिवि णिय परिहवपडु सो णिएक्खालिवि। 10 चंदगुत्ति तिं पविहउ राणउ किउ चाणक्कै तउ जि पहाणउ ।
चंदगुत्ति रायहु विक्खायहु विंदुसारणंदणु संजायहु । तहु पुत्तु वि असोउ हुउ पुण्णउ गउलु णामु सुउ तहु उप्पण्णउ । णिउ असोउ गउ वइरिहु उप्परि पल्लाणेप्पिणु सज्जिवि हरिकरि ।
तेण जि सणयरहु लेहु जि पेसिउ सालि-क्खरु-मति देवि अदूसिउ । 15 उवझायहु णंदणु पाढिव्वउ अयर एहु वयणु महु किव्वउ । तं जि लेहु वंचिउ विवरेरउ णयण-जुयलु हरियउ सुय केरउ ।
__ घत्ताअरि जित्तिवि जावहु आउ घरि पुत्त णिच्छिविउ गयणयणो। बहु सोउ पउंजिवि तेण तहिँ विहियउ सुयह पुणु परिणयणो ॥९॥
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164