Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक
[ २ ] पंचम काल का वर्णन । पाटलिपुर के प्रथम दृष्ट
... कल्कि राजा चतुर्मुख का परिचय । -फिर जितेन्द्र ने निश्चय कर कहा है कि ( इस काल के ) एक हजार वर्ष बीतने के पश्चात् जगद्विख्यात लोभ-कषाय से परिपूर्ण चतुर्मुख नाम का एक कल्को ( राजा ) होगा। वह पाटलिपुर नगर में निवास करेगा तथा इस पृथ्वीतल को एकछत्र होकर भोगेगा। अन्यायपूर्वक लोगों को दण्ड देगा और महाकरों ( बहुत अधिक टैक्सों) से पृथ्वी को पीड़ित करेगा।
एक दिन वह अपने मन्त्री से पूछेगा कि मुझे कौन-कोन व्यक्ति नमस्कार नहीं करते तथा मेरे दण्ड को कौन-कौन व्यक्ति स्वीकार नहीं करते ? तब मन्त्री कहेगा कि-"गिरि-कन्दराओं में रहनेवाले परम-दिगम्बर मुनि आपको क्यों नमस्कार करें ? वे श्रावकों के घर जाकर हाथों पर आहार लेते हैं । वे आपका दण्ड क्यों स्वीकार करें ?"
उस मन्त्री का कथन सुनकर वह कलंकी राजा कल्कि कहेगा कि "भोजनकाल में श्रावकों के घर जाकर उन दिगम्बर मुनियों से आधा-भोजन दण्ड (कर-टैक्स ) स्वरूप ग्रहण करो।" राजा कल्कि के इस प्रकार कहते ही उसके सिर पर भयानक वज्रपात होगा और वह अकाल में ही मारा जायेगा। मरकर वह प्रथम नरक में जायेगा।
उसके बाद उसका पुत्र राज्य करेगा। वह न्यायमार्ग से जनपद का पालन करेगा तथा धर्म की प्रभावना को प्रकट करेगा।
घत्ता-इस दूसरे कल्कि के बाद भी अन्य २० ( बोस ) कलंकी कल्कि राजा होते रहेंगे, जो लोभान्ध होकर अपने दुश्चरितों से जनता को दुःख दे-देकर उसका पालन करते रहेंगे ॥२५॥
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