Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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शब्दकोश
२७३
उयउ = उदित हुआ १९८ कउतुक = कौतुकपुर (नगर) १४ उयरि= उदर से, गर्भ से ११० कक्कि = कल्कि (-राजा) २५।२ उयरु= उदर, पेट १७।२० कच्छ = कछुवा - उवझाय = उपाध्याय (गुरु) ९।१५ कडय = कटक (आभूषण) १५।१ उवण्णी = उत्पन्न हुई २३९ कढाविउ =V कृष्, निकलवाया ७१ उवरि=ऊपर
१२३ कणयथालि-स्वर्णथाल ८८ उववास = उपवास १४।१० कणयायलु =कनकाचल, सुमेरु उवसग्ग = उपसर्ग २१११४ पर्वत
२८।१७ उवसप्पिणी = उत्सर्पिणी
कत्थ =कुत्र, कहां ५।११;२०१५ (-काल) | २९ कत्तियमासि = कात्तिकमास २६।१० उवसाम = उप + शमय, शान्त कप्परक्ख = कल्पवृक्ष १०५ करना
कम्म = कर्म
१४।१३ उवाउ = उपाय २२१५ कमल = कमल
१०१११
कमंडलु % कमण्डल १८।१० एक्क = एक २२, १७११६ कयवय =कतिपय
१३।१८ एक्कु =एक
२।६; २१।९ कयार = कतवार, कूड़ा, मैला १०१११ एक्केक्खर =एक-एक अक्षर २४८ करणु = करने में
५।१६ एण ( एण्ह )= इस ( विधि से, करहाड = करहाट ( नगर) २३३१० प्रकार से)
८६ करहु = करो एत्थु =यहाँ
२८।१४ काल = काल (-चतुर्थ) . २७।१७ एत्तहि = इतस्, यहाँ से, उसी कराले = कराल, विकराल २५।९ समय
२।५; १९६३ कराविवि = कराकर २२२१ एयछत्तु =एकच्छत्र (-साम्राज्य करि=करो, कीजिए २।११
वाला सम्राट) २५१३ करिऊण =V +ऊण् कृत्वा, एय= एतत्, इसका
३१४ करके एरिसु=एतादृश, ऐसा १४॥२ करिवर=श्रेष्ठ हाथी १०।११ एव =ही २४।४ करेसहि =करेंगे
१२१५ एव्वहिँ = इस समय, आजकल २२।२ कलंकिय = कलंकी कल्कि राजा २५।१२ एसो= यह
३।६ कलेवरु = कलेवर, हृदय ६४ एहु =एषा, यह ॥१६; ३९ कसाएँ = कषायों से
५।१०
कसाय =कषाय (-क्रोधादि) ८५ कई =कपि, बन्दर १२।८ कह = कथा
१२ कइपय = कतिपय ९।३ कहु = कहो, बताओ
२८
६७
८४
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