Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 135
________________ शब्दकोश ९८ गण =गिनी जाय; गिनें १३।११ गोवाल = गोपाल २३।४ गब्भु = गर्भ १८७ गोसि =प्रभातकाल में १०।१४ गयउ = गया ३१०; ४३ गंपि=जाकर गयणयणो=गतनयन ९।१७ गयणसदु = गगनशब्द, आकाश- धनमाला=मेघमाला ११११२ वाणी १४।२ घय =घृत १३।११; २७।१० गयणि = आकाश में ११२० घर = गृह, घर २०१२; २७।४ गयणु = गगन, नभ १०१९ घरिय = घर से ४।२ गयमलि = गतमल १३३४६ घरु= घर २०१५ गयवाहि =बाहर जाकर २०१६ घल्ल = क्षिप, फेंकना ६।९; ८।४ गरोस = गरिष्ठ, महान् २४.५ घोर = घोर, भयानक १६५ गासुग्रास १३१७ घोस = घोषणा करना १४।२; २२।४; गिण्हइग्रहण करने लगा ६१२ २४८ गिण्हहु = ले लो, छीन लो २५।८ गिरावाणी २२।१३ गिरिवर = उच्च पर्वत २५।६ चउमुहु = चतुर्मुख ( नामक गुण = गुणस्थान २।१२ कल्कि राजा) २५।२ गुणल्लियउ = गुणनिधि १३।१८ चएप्पिणु = छोड़कर १६६ गुणसेणि = गुणश्रेणी १।१३ चट्टइ = चटुआ घरकर १५११ गुणायर =गुणाकर चरमायरिय = अन्तिम आचार्य २८५४ गुणाले = गुणाकर ४५ चरिउ = चरित २८५४ गुणि = गुणवाला चरिय = चरित्र १३२ गुणिल्लु = गुणवाला चरियाचरणु = चर्याचरण ३१५ गुरुयणु =गुरुजन २८.६ चलइ = चलता है, डिनता है ११६ गुरुक्कउ =महान् । १३।१४ चाणक्क = चाणक्य ८।१; ८.९; ८।११ गुरुपय =गुरुपद १४१७ चारणमुनि = चारणमुनि गुरुवयण = गुरुवचन, गुरुवाणी१४।१४ (सिद्धि प्राप्त साधु ) ११७ गुरुसेव = गुरुसेवा १४।१० चारिवि = चय करके, चलकर, गुहा = गुफा, कन्दरा १९।१३ मरकर २६८ गेह घर ३।११ चालियउ = चलाया, गोउर=गोपुर १५।१४ चलायमान किया ९।१ गोवद्धणु = गोवर्द्धन चित्ति-चित्त में ३३१३ (आचार्य) १११, ४।११ चिरकाल = चिरकाल ६३ १६॥३ १५१२ २।४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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