Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 139
________________ शब्दकोश आय ११३ परमाउसु =परमायु, उत्कृष्ट पियरजण = पितृजन ४।४ २४.११ पुच्छिउ =पूछा १७; ३।२ परलच्छो -पराई लक्ष्मी ११७ पुज्जेज्जा=आदर किया जायगा १२७ परायण = निष्णात २:३ पुण्णसत्ति = पुण्यशक्ति परिणो = ब्याह दी गयी २३।१।२३।१० पुणरवि = पुनरपि १२।१३ परिथक्कउ = ठहर गया २६ पुणु = पुनः ११२ परियणु = परिजन २८.१७ पुत्ति =पुत्री २३३९ परियाणिय = जान लिया ३॥१३ पुप्फयंत = पुष्पदन्ताचार्य २४॥६ पलाण = पलायन कर गये २५ पुरोह = पुरोहित १६ पवयणंग-प्रवचनांग २४।६ पुहई = पृथिवी २५।४ पसण्ण प्रसन्न ३।१० पोत्थहिँ = पोथियों में; पुस्तकों में २४७ पसाउ= कृपा २।११ पोमसिरि= पद्मश्री पसुत्तइँ = सो रहा था १०१४ पोमावइ = पद्मावती २८।१४ पसंसिउ =प्रशंसित ४।४ पोसेसहि = पालन-पोषण करेंगे २५।१३ पहगच्छहु = मार्ग में जाइये; बिहार पोहिउ = पुरोहित ३।१ कीजिए १९।१० पंचमकालि =पंचमकाल पहवंत - प्रभावाले १०१८ १०८; २४।९; २६।९ पहावण = प्रभावना २३७ पुंगम् =पंगव, श्रेष्ठ १४।४ पहिट्ठा = प्रसन्न १९।१२ पुंज = ढेर, समूह १२।९ पाडलिपुर = पाटलिपुर, पटना ५।१; २०।१३; २६।१ फगुसिरी= फल्गुश्री नाम की पाढय =पढ़ा दिये गये हैं ३।१५ श्राविका २६४ पाढिज्जंतु =पढ़ा-पढ़ाया जाय २८।१६ फलु = फल ११५ पाणिपत्ति = पाणिपात्री बनकर २१६८ फाडिउ = फाड़ डाला १७।२० पायच्छित्तु =प्रायश्चित्त २११५ फुप्फूवंतउ = फुफकारता हुआ १०१६ पायडिय =प्रकट करने वाले ११७ फुरता=स्फुरायमान १०१० पायस = खीर १०१० पाल्ह वंभु = ब्रह्मचारी पाल्ह २८१२ बहु-बहुत, अधिक पालमि = पालता हूँ, चलाता हूँ ७६ बालवसह = बालवृषभ १०।१२ पालेसइ - पालन करेगा २५।११ बालु = बालक २।३ पावण = पावन, पवित्र . १३१४ बाहत्तरि = बहत्तर २७.११ पासंड = पाखण्ड, बनावटी २३।१३ बीमच्छ = बीभत्स १८७ पिययम =प्रियतम २३॥३ बुद्धि = बुद्धि २४७ ४॥४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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