Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 141
________________ शब्दकोश ल रिसिवर = ऋषिवर १।२१ वाहु-हाथ १११९ रूवरूप १६ वाहुडि= तिरछा, उल्टा १०१६; १९।४ विक्खाय = विख्यात ४।१० ललिय ललित २२।१३ विगय = विगत २७।१२ लवण=लवण १३।११ विगयमलु-विगतमल १८।१० लाहु-लाभ २।६ विच्छिण्ण= आच्छादित १०१९ लिहिय=लिखित १६८ विचरहिं = विचरते हैं । २७।११ लिहेप्पिणु = लिखकर २२७ विजन्मासु-विद्याभ्यास २२।१ लेविय-लेकर १९।५ विजावाएँ = विद्या-वाद में ४६ लोहु = लोभ २५।२ विजयंदिय=विजयेन्द्रिय लोहंधु लोभान्ध __ २५।१३ जितेन्द्रिय १९५ विट्ठर=विष्टर, सिंहासन १०१९ वह बंटे के (ऊपर), गोली के विण्णि=दोनों ४/७ (ऊपर) १२२३ विणउ = विनय ४।४; २२।५ वउ = बंटा (गोली) ११२३ विस्थारिय-विस्तारित ४६ वट्ठिय = स्थापित ११५ विप्प = विप्र १११२; ७७ वड्ढहि = बढ़ने लगा १।२० विमला= विमल, निर्मल १२ वच्छ- वत्स ३।१५ वियलिहि = विगलित,भयभीत२१।१५ वजग्गि-वज्राग्नि ११।१३ विलित्ता = विलिप्त २७।४ वजाणिल - वज्रानिल २७.७ विवेय=विवेक - २७।१२ वण्णिउ = वर्णित २७७ विसाहणंदि = विशाखनन्दी आचार्य वणयरम्वनेचर १०९ १४॥४; १९।३; २०११३; २४१५ वयणु = वचन ३॥१० विहरहु =विहार करो, विचरण वरिसाणंतरि= वर्षान्तर १९३ करो १८३११ वरिसेसइ =बरसेगा ११३१३ विहरंतउ = विहार ( भ्रमण ) वलहीपुर = बलभीपुर (नगर) २३१ करते हुए २।१, ४।१२ वलियसंघ-वलियसंघ-यापनीय विहल =विफल संघ ____२४।३ वीयउ = दूसरा २७।१४ वसह = वृषभ १२।१० वीस =बीस २७११ वारह = बारह (१२) २२ वेएँ = वेगपूर्वक ४।२ वावार= व्यापार, कार्य २७।४ वंढेसइ = बढ़ायगा वासरु = वासर, दिन २७।८ वंदेप्पिणु = वन्दना कर २१।२ वासु-वास, निवास १९।५ वितरु% व्यन्तरदेव २१११३ ८१ २६६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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