Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 159
________________ जैन स्रोतों के आधार पर भारतीय राजनैतिक इतिहास के आधार पर विशेष Jain Education International | वंश | राजा पिता समकालीन कल्किराजा पिता का नाम कानाम काल - हिन्दूराजा काल | वंश कानाम कानामा का नाम For Personal & Private Use Only (१) प्रतीत होता है कि मिहिरकुल ही चतुर्मुख है तथा तोरमाण ही इन्द्र अथवा शिशुपाल । (२) जैन इतिहास की दोनों मान्यताओं (दे. क-ख) में विशेष अन्तर नहीं है । क्योंकि प्रथम मान्यता (क) में कल्कि का राज्यकाल मिलाकर वीर निर्वाण संवत् के बाद १००० वर्ष की गणना करके दिखाई गयी है अर्थात् १००० वर्ष बाद धर्म एवं संघ का लोप टिप्पणियां बतलाया चतुर्मुख इन्द्र अथवा शिशुपाल (क) तिलोयपण्णत्ति एवं हरिवंशपुराण के अनुसार वीरनिर्वाण संवत् ९५८-१०००(४३१-४७३ ईस्वी) (ख) महापुराण एवं त्रिलोकसार के अनुसार वीर निर्वाण संवत् १०३०-१०७० ( ५०३-५४३ ईस्वी) मिहिरकुल तोरमाण भानुगुप्त एवं विष्णुधर्म (अपरनाम-विष्णुयशोधर्म) ५०७-५२८ ईस्वी दूसरी मान्यता (ख) में वीर निर्वाण संवत् १००० में कल्कि का जन्म बतलाकर ४० वर्ष बाद उसे राज्यसिंहासन पर आरूढ़ हुआ बतलाया गया है। दोनों मान्यताओं में एक बात सामान्य है और वह यह कि उसका राज्यकाल लगभग ४० वर्ष का बतलाया गया है । इतिहास से तुलना करने पर दूसरी मान्यता तर्कसंगत प्रतीत होती है क्योंकि मिहिरकुल का समय सन् ५०७-५२८ ई० के आस-पास बतलाया गया है । www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 157 158 159 160 161 162 163 164