Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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८६
चंदगुत्ति = चन्द्रगुप्त ९१७; १०1१; ११|१; १२।१४; १४ । १०; २०१६ ११।११
चंद मंडल = चन्द्रमण्डल
चंदु:
= चन्द्रमा
चित = चिन्ता, विचार चिंताउरु = चिन्तातुर
=
भद्रबाहु - चाणक्य- चन्द्रगुप्त कथानक
जि= जो
११
जिणसासण = जिनशासन
१।१४
जित्तिय = जीतकर
४६
जीवियास = जीवन की आशा १४१९
११।११
छण्णउ = छा गया, भर गया
छद्दंसणु = षड्दर्शन
छहरस = षड्स
छार = क्षार,
राख
छिष्ण = छिन्न, नष्ट, समाप्त
छुह = क्षुधा
छंडिवि = छोड़कर
छंदालंकार = छन्दालंकार
ज
जक्खिल = जक्खिला (रानी)
जणण =
पिता
जणणी = जननी
जणवड = जनपद
जम्मण
= जन्म के
जलथंभणु = जलथंभन नामक
कल्कि राजा
जलु
= जल
जस कित्ति = यशः कीर्ति
( भट्टारक )
जसायरु =
जाइवि = जाकर
जाएसइ = जायगा जाणिउ जानो
=
जाम = जब
जायउ = हुआ जासि = जिसका
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१२०
२८/२
१०।१४
६।९; २०१५
११७
२८३
जुयल = युगल
जेत्तर्हि = जहाँ
जंपइ = बोला
जुंजहि = जुड़ेगा, लगेगा
८|४
झ
५।१२ झाएप्पिणु = ध्यान कर
5
ठवइ = स्थापित करता है ठविउ = स्थापित किया, रख
दिया
१७/२
३।१३
१५।१
२३।९
४१
४। १
२५।११
१।११; ३।४
जुज्झता = जूझते हुए
जुत्तु = युक्त, सहित
२६।१
६।२
डिंभ :
= बालक
१६।७
ठा = स्था
१५।१०
ठियउ = स्थित किया, डाल दिया ६।१०
ड
१।१८; २।४; ३।१०
ढंक = ढकना
उ = नहीं
उलु = नकुल ( मौर्य सम्राट् अशोक का पुत्र )
णग्गत्तण = नग्नत्व
णग्गा = नग्न
णयणिए = नेत्रों से
जयमग्गि = न्यायमार्ग से
२८।११
२८।१४
१।२२
२५।१०
२४
१।२३ णवासिय = नवासी (८९)
५।१
णहंगणि = नभांगन
२६
२२
२६।७
३।१
२।११
१९२
१६।६
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१।२३
२३।१०
१।१६
९।१२
२११८
२३।५
३।७
२५।११
२६।९
११1८
णाणत्थवणु = केवलज्ञान अस्तंगत ११।४
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