Book Title: Bhadrabahu Chanakya Chandragupt Kathanak evam Raja Kalki Varnan
Author(s): Rajaram Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
View full book text ________________
परिशिष्ट :४
शब्दकोष (ध्यातव्य-सन्दर्भ में कडवक एवं पंक्ति संख्या प्रदर्शित है )
अ
६७
२८०२
अणिंद = अनिन्द्य
२११ अइपवन = अतिप्रबल ६२ अस्थवण = अस्तवन ११५ अकाल = अकाल, दुष्काल २५।९ अतुच्छ = अतुच्छ, असाधारण २०१४ अकुलीण = अकुलीन १२।४ अतुल = अनुपम
१०१३ अग्गइ = आगे २४८ अतंद =अतन्द्र
१२. अग्गउ = आगे २०१९ अद्दा = अर्ध, आधा
२४।११ अग्गासण = अग्रासन, पहला आसन ८८
अद्ध = अर्ध
२३३३ अग्गिल = अग्निल नामक श्रावक २६४ अदुच्छ = निष्पाप
३२ अच्छइ =निवास करता है, रहता है ३१ अप्पमाण = अप्रमाण ५।४ अच्छरिउ = आश्चर्य १९।११
अप्पाण-अपना
४॥६ अछिण्ण = अछिन्न, नियमित ७७ अपसस्थ= अप्रशस्त
२३१५ अज्ज =आज
अप्पाहिउ = आत्महित अज्जखेत्त = आर्यक्षेत्र १३
अन्मच्छिउ =सादर निमन्त्रित अज्झाय = अध्यापन २१० किया
८८ अज्जिय = आर्यिका २६.६ अभक्ख =अभक्ष्य
१७१६ अजुत्तु = अयुक्त १५।२; १५॥११ अमद = अभद्र
१७।२४ अटुंग= अष्टांग १११, २१३ अभिवाय = अभिवादन १५७ अडवि= अटवी १३१८:१४।६:१४।१४ अभंगह = अभंग
२०१९ अण्ण = अन्य
५।१ अम्मावसि = अमावस २६।१० अण्णाए = अन्याय
२५।४ अयएँ = अचिर, तत्काल अणत्थ = अनर्थ १८९ अरि = शत्रु
६५ अणसण = अनशन १४१९, २६७ अरियण =शत्रुजन
७३ अणि? =अनिष्ट
१०७ अल्ल =आर्द्र, गीला अणुणइ = अनुनय १८०२ अलाह =अलाभ
१३१६ अणुरत्त = अनुरक्त १२।१२, १३।१२ अवगण = अवगणना २४।२ अणुराय = अनुराग २८।१५ अवमाण = अपमान
२६५
९।१५
५।१४
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164