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भद्रबाहु-चाणक्य-चन्द्रगुप्त कथानक
[९] Finding the chaged seat, Cāņakya is enraged with King Nanda. He along with Candragupta joins the enemy King ( Puru or Parwataka ) of Pratyanta and with his help completely annihilates King Nanda and
makes Candragupta the King of Padalipura.
मज्झु जि भोजासणु किं चालियउ केणारण्णि हुवासणु घालियउ । मंति भणिउ णिवहु आएसें तुम्हासणु अवहरिउ विसेसें। ता मज्झासणि तेण णिउत्तउ कइपय वासर वइसिवि मुत्तउ । पुणु तत्थउ वि चालिउ जामहिँ मणि कुद्धउ चाणक्कउ तामहिँ। 5 पुरवराउ भासंतउ णिग्गउ महु कुडि जो लग्गइ सो लग्गउ ।
णंद-रज्जु तहु देमि अभग्गहु इय भासंतु जाइ णंदिग्गहु । तं सुणि को वि चंदगुत्ति जि भडु तासु पिट्टि लग्गउ अरि-खय-पडु। तिं पच्चंत-वासि-अरिरायहँ गंपि मिलेप्पिणु भूरि-सहायहँ !
गंदहु रज्जु समरि उद्दालिवि णिय परिहवपडु सो णिएक्खालिवि। 10 चंदगुत्ति तिं पविहउ राणउ किउ चाणक्कै तउ जि पहाणउ ।
चंदगुत्ति रायहु विक्खायहु विंदुसारणंदणु संजायहु । तहु पुत्तु वि असोउ हुउ पुण्णउ गउलु णामु सुउ तहु उप्पण्णउ । णिउ असोउ गउ वइरिहु उप्परि पल्लाणेप्पिणु सज्जिवि हरिकरि ।
तेण जि सणयरहु लेहु जि पेसिउ सालि-क्खरु-मति देवि अदूसिउ । 15 उवझायहु णंदणु पाढिव्वउ अयर एहु वयणु महु किव्वउ । तं जि लेहु वंचिउ विवरेरउ णयण-जुयलु हरियउ सुय केरउ ।
__ घत्ताअरि जित्तिवि जावहु आउ घरि पुत्त णिच्छिविउ गयणयणो। बहु सोउ पउंजिवि तेण तहिँ विहियउ सुयह पुणु परिणयणो ॥९॥
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