Book Title: Ashtapad Tirth Puja Author(s): Vallabhvijay Publisher: Hansvijayji Free Library View full book textPage 6
________________ पूजन स्थापन. सपत्निक ( सजोडे ) १६ स्नात्री तैयार होवे वह चारों तर्फ चार चार आम सामने पटडेपर बैठ जावें । वर्द्धमान विद्यासे मंत्रकर वास क्षेप तैयार रखना। ३२ करेबियोंमें जल कलश १ चंदन कटोरी (वाटकी) २ फूल तथा छोटे हार ३ धूप ४ दीप ( लालटेन-फानसमें ) ५ अक्षत (चावल ) ६ फल ७ और नैवेद्य ८ तथा आरती मंगल दीवा और काफूर (कपूर ) करेबियों में धर कर कतार बंध पंक्तिबंध सब करेबियां चारों दिशा में बैठे हुए चार चार सपत्निक ( सजोडे ) स्नात्रीके सनमुख पटडों पर रखदेनी । पहाडके नजीक अखला या बाजोठ (चोकी) के ऊपर थाल या बड़ी करेबी में एक एक जिन प्रतिमा चारों तर्फ स्थापन करनी। सामने सामग्री चढाने के वास्ते एक एक अखला या बाजोठ ( चोकी) रखदेनी। पूर्व दिशा पूजनस्थापन. __पूर्व दिशाके चारों सजोडोंको वास क्षेप करके पूर्व दिशा का पूजन स्थापन करना। ॐ ह्री श्री कैलासाष्टापदशिखरे श्री सिंहनिषद्या चैत्यालये पूर्वदिशासंस्थित ऋषभ अजित जिन बिंब अत्र अवतर संवौषट् स्वाहा ” [ आह्वान मुद्रासे आह्वान करना । " आओ पधारो " कहना । ] पुनः “ॐ ही श्री कैलासाष्टापदशिखरे श्री सिंहनिषद्या Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54