________________
४८
मंत्रजे ही श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म जरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेंप्राय पूर्वदिक् संस्थित-ऋषन १ अजित ५॥दक्षिण दिक् सं. स्थित-संनव १ अभिनंदन २ सुमति ३ पद्मप्रन ४-पश्चिमदिक संस्थित-सुपार्श्व १ चंप्रन सुविधि ३ शीतल ४ श्रेयांस ५ वासुपूज्य ६ विमल ७ अनंत -उत्तरदिक संस्थित-धर्म १ शांति ५ कुंथु ३ अर ४ मवि ५ मुनिसुव्रत ६ नमि नेमि न पार्श्व ए वीर १० निष्कलंकाय चतुर्विंशति जिनाधिपाय नैवेद्यं यजामहे स्वाहा ॥॥ P- विधिमें दी हुई आरती ६४ स्नात्री उतारे । बाकी
शांतिधारा आदि जो कुछ करना होवे यथेच्छा करें। ति तपगडाचार्य १०७ श्रीमद्विजयानन्दसूरि।
शिष्य महामुनि श्री १०७ श्रीलक्ष्मी विजर यजी शिष्य मुनिमहाराज श्री १०७ श्री
हर्षविजयजी शिष्य मुनिवबनविजय है विरचिताष्टापद तीर्थ पूजा ॥
MORRESTERRIERRIASISATE
WAISISATERIASISATER
HIROFERRIERMARCRATERATERIATERNATERIATERATORIES Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com