Book Title: Ashtapad Tirth Puja
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Hansvijayji Free Library

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Page 28
________________ २५ बली म्होटे । जरतसे सूर्य बाहुसे, शशी वंशी सुहाया है॥प्र०५॥ सूत्र श्री कल्पमें प्रजुके, गोत्र और वंशका वर्णन । आतम लक्ष्मी प्रजु हर्षे, वजन मनमें समाया है। प्र०६॥ काव्यसरस चंदन घसिय केसर नेली मांही बरासको, नव अंग जिनवर पूजते नवि पूरते निज आसको । जव पाप ताप निवारणी प्रनु पूजना जग हितकरी, करु विमल आतमकारणे व्यवहार निश्चय मन धरी ॥२॥ मंत्रजी श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्मजरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेसाय पूर्वदिक् संस्थित-ऋषन १ अजित ५ दक्षिण दिक् संस्थित-संनव १ अभिनंदन सुमति ३ पद्मप्रन ४ पश्चिमदिक् संस्थित-सुपार्श्व १ चंप्रन ५ सुविधि ३ शीतल ४ श्रेयांस ५ वासुपूज्य ६ वि. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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