Book Title: Ashtapad Tirth Puja
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Hansvijayji Free Library

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Page 40
________________ मंत्र धरी ॥५॥ ॐ ह्री श्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्मजरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेप्राय पूर्वदिक संस्थित-ऋषन र अजित श्-दक्षिण दिक्संस्थित संजव १ अनिनंदन २ सुमति ३ पद्मप्रन ४-पश्चिमदिक् संस्थित-सुपार्श्व १ चंपनर सुविधि ३ शीतल ४ श्रेयांस ५ वासुपूज्य ६ विमल अनंत -उत्तर दिक् संस्थित-धर्म १ शांति कुंथु अर ४ मल्लि ५ मुनिसुव्रत ६ नमि 5 नेमि 5 पार्श्व ए वीर १० निष्कलंकाय चतुर्विंशति जिनाधिपाय दीपकं यजामहे स्वाहा ॥ ५॥ छट्ठी अदत पूजा दोहरा. बट्ठी पूजा जिनतनी, अदतकी सुखकार । जाव धरी नविकीजिये, अदत फल दातार॥१॥ पचास लाख कोमि सही, बारा अर्ध प्रमान । शासन अविचल ऋषनका, सुरपद शिवपद खान Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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