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( अब मोहे पार उतार चिंतामणि) जगजीवन आधार ऋषनजी जगजीवन थाधार वंशपरंपर पाट असंख्या आवागमन निवार ॥अंचली॥ सूर्य यशासे चउद लाख नृप, पहुंचे मोक्ष मकार । एक गया सर्वार्थ सिझमें, त्यागन कर संसार ॥१॥ चनद लाख मोद सर्वारथ, सिके एक विचार । ऋण। एक एक सरवारथ सिके, संख्यातीत उदार ॥२॥ चनद लाख मोदे सरवारथ, सिके दो अवतार। ऋ । तीन चार यावत पंचाशत, सर्व असंख्या धार ॥३॥ चउद लाख नरपति सरवारथ, सिके पद अवधार । ऋ० । एक गया राजा मोदे श्म, सर्व विलोम प्रकार ॥४॥ इत्यादि वर्णन नंदि अरु, सिक दंमिका सार । ऋ । आतम लदमी निज गुण प्रगटे, वखन हर्ष अपार ॥५॥
दोहरा. ऋषनसेन मुनि जानिये, घूमरीक गणधार । क्रमसे आदि जिनंदके, पाट असंख विचार॥१॥
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